चीनी सेना के मुखपत्र जन मुक्ति सेना अख़बार ने 10 अगस्त को चीनी भूमि में भारतीय सेना के अवैध प्रवेश की चर्चा में कहा कि भारत को अपने दिल में बैठे भूत को भगाने से सही रास्ता मिलेगा । आशा है कि भारत अपनी खोई हुई दिशा फिर से प्राप्त करेगा और इतिहास में हुई गलती दोबारा नहीं करेगा । राष्ट्रीय प्रादेशिक भूमि और प्रभुसत्ता की सुरक्षा पर चीनी सेना का संकल्प पहले की तरह ही है ।
इस आलेख में कहा गया कि भारतीय सेना ने अवैध रूप से चीन के तूंगलांग क्षेत्र में प्रवेश किया और दावा किया कि उसका उद्देश्य चीन को रास्ता निर्माण करने से रोकना है । चीन की गतिविधि से भारत को तथाकथित गंभीर सुरक्षा खतरे का सामना करना पड़ता है । फिलहाल भारतीय वरिष्ठ अधिकारी ने फिर शांतिपूर्ण तरीके से संकट हल करने की बात की, लेकिन इसकी शर्त चीन का रास्ता निर्माण छोड़ना है । चीन का अपनी भूमि पर रास्ता निर्माण करना पूरी तरह प्रभुसत्ता संपन्न देश का न्यायपूर्ण कार्यवाई है । भारत को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है ।
इस आलेख में कहा गया कि भारत की इन प्रतिक्रियाओं के पीछे दिल में बैठा भूत है । कुछ भारतीय चीन के तिब्बत को दो बड़े देशों के बीच बफर जोन बनाना चाहते हैं । उनके विचार में तिब्बत का निर्माण कम होना और पिछड़ा रहना भारत के हित में है । इसलिए भारत हमेशा चीन के तिब्बत के तेज आर्थिक और सामाजिक विकास पर सतर्क रहता है । उनके विचार में तिब्बत का विकास भारत के लिए सुरक्षा का खतरा है ।
आलेख में कहा गया कि इस मनोस्थिति से भारत को चीन और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के बीच सामान्य संबंधों के विकास पर आशंका भी है । यह एकदम निराधार है ।
आलेख में कहा गया कि वर्तमान में भारत के सामने दो रास्ते हैं । एक है फौरन सेना हटाना और शांतिपूर्ण सहअस्थित्व के रास्ते पर लौटना ।और दूसरा है भ्रम में रहकर दो देशों के सीमांत क्षेत्र की शांति को गंभीर रूप से बर्बाद करना, जिससे अधिक गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा ।(वेइतुङ)