अमेरिकी पत्रिका विज्ञान की प्रगति द्वारा जारी ताज़ा अनुसंधान के अनुसार इस शताब्दी के अंत में दक्षिण एशिया के कुछ क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में गर्मी का प्रकोप घातक होगा।
इस अनुसंधान के अनुसार अगर बड़े हद तक कार्बन निकासी को कम नहीं किया गया, तो वर्तमान की स्थिति से देखा जाए, दसेक वर्षों के बाद भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश के कुछ क्षेत्र तेज़ गर्मी से त्रस्त होंगे। गंगा नदी व सिंधु नदी, जो अनाज की मुख्य सप्लाई देने वाले क्षेत्र हैं, की स्थिति खास गंभीर होगी।
अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार गर्मी के मौसम का कुप्रभाव न सिर्फ़ तापमान से आया है, बल्कि नमी से भी। बड़ी नमी के पर्यावरण में लोग मुश्किल से शरीर से गर्मी का निकास कर सकते हैं। इसलिये शरीर का सामान्य तापमान बहाल नहीं हो सकता। बड़ी नमी में संरक्षण के बिना लोग केवल कई घंटों तक जीवित रह सकते हैं।
चंद्रिमा