2 अगस्त को चीनी विदेश मंत्रालय ने चीन-भारत सीमा के सिक्किम भाग पर भारतीय सीमावर्ती सेना के चीनी प्रादेशिक भूमि में प्रवेश का तथ्य और चीन का रुख नामक दस्तावेज जारी किया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चीन सरकार के रुख पर प्रकाश डाला। चीनी समाज व विज्ञान अकादमी के दक्षिण पश्चिम सीमा अनुसंधान संस्थान के उप प्रधान चांग योंगफान ने सीआरआई के साथ साक्षात्कार में कहा कि तूंगलांग क्षेत्र सीमा रेखा के चीनी पक्ष में होता है और जो कि अखंडनीय चीनी प्रादेशिक भूमि है। चीन व भारत की थलीय सीमा का विवाद मुख्यतः पूर्वी, मध्यम व पश्चिम भाग में केंद्रित है, जबकि सिक्किम भाग में अनेक सालों में दोनों के बीच कोई विवाद नहीं हुए थे। भारत ने अपनी गैरकानूनी कार्यवाइयों के लिए विविधतापूर्ण बहाने बनाएं। यहां तक भारत ने यह कहा कि चीन की सड़कों की मरम्मत कार्यवाई से भारत को गंभीर सुरक्षा खतरा हुआ है। लेकिन ये सब निराधार है। लम्बे अरसे से भारतीय सेना ने सीमा रेखा के भारत पक्ष में बहुत बुनियादी संरचनाओं का निर्माण किया और सीमा पर किले जैसे सैन्य संरचनाओं का निर्माण भी किया।
चीनी आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय संबंध अनुसंधान इंस्टिट्यूट के दक्षिण एशियाई अनुसंधान संस्थान के प्रधान हू शिशंग ने कहा कि इस घटना के बाद चीन सरकार का रुख व रवैया बहुत स्पष्ट रहा है। जिसने गलती की, उसे अपनी गलती को ठीक करना चाहिए। चीन शांतिप्रिय देश है, लेकिन चीन इसी तरह आक्रमण की स्थिति रहने को अनुमति नहीं देगा। इसके बावजूद चीन अभी भी शांतिपूर्ण राजनयिक हथकंडों से हालिया समस्या का हल करना चाहता है। हू ने कहा कि अब भारत के रुख में स्पष्ट परिवर्तन नहीं आया है। लेकिन भारत पक्ष ने चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा 2 अगस्त को जारी दस्तावेज की जो प्रतिक्रिया दी, इससे पता चलता है कि भारत गलत रास्ते में आगे चल रहा है। भारत को तुरंत निःशर्त अपनी सेना को वापस हटाना चाहिए। यह इस घटना का हल करने की पूर्व शर्त व आधार है।
(श्याओयांग)