कंग श्वांग ने कहा कि 16 जून को चीनी पक्ष ने चीन भारत सीमा के सिक्किम सेक्टर के चीनी पक्ष में स्थित तूंग लांग क्षेत्र में रास्ता का निर्माण शुरू किया ,जिस का उद्देश्य स्थानीय यातायात स्थिति सुधारना है ।सदिच्छा से चीनी पक्ष ने 18 मई और 8 जून को दो बार भारतीय पक्ष को सूचना दी ।भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं की ।18 जून को भारतीय सीमा बल के 270 से अधिक जवानों ने हथियार लिए दो बुलडोजरों के साथ डोक ला पास से सीमा पार कर चीनी भूमि के अंदर 100 से अधिक मीटर घुस कर रास्ता निर्माण को रोका। 2 अगस्त के दोपहर के बाद भारतीय सेना के 48 व्यक्ति और एक बुलडोजर चीनी भूमि पर गैरकानूनी रूप से ठहरे हैं ।
कंग श्वांग ने कहा कि भारत बार-बार शांति की बात कहता है .उस की बात की तुलना में उस की काररवाई अधिक महत्वपूर्ण है ।चीन के विचार में संबंधित तथ्यों की अनदेखी नहीं की जा सकती ।पहला ,भारतीय पक्ष ने चीनी पक्ष से संबंधित सूचना मिलने के बाद एक महीने तक किसी भी माध्यम से कोई प्रतिक्रिया नहीं की ।इस के उलट उस ने 18 जून को सीधे सशस्त्र व्यक्ति सीमा पार करने के लिए भेजे ।यह शांति के लिए नहीं है ।दूसरा ,घटना होने के 1 महीने से भारतीय सशस्त्र व्यक्ति चीनी भूमि पर गैरकानूनी रूप से ठहरे हुए हैं ।इस के अलावा भारत सीमा के पास मार्ग निर्मित कर रहा है ,साजो सामान तैयार कर रहा है और बडी संख्या वाले सशस्त्र व्यक्ति इकट्ठा कर रहा है ।यह शांति के लिए नहीं है ।तीसरा ,अकाटय् तथ्यों के सामने भारत ने आत्मचिंतन के बजाय तथाकथित सुरक्षा की चिंता ,तीन देशो के जुड़ाव का सवाल ,भूटान के मांग पर कदम और इत्यादि बहाना गढ़ने की कोशिश की ।यह शांति के लिए नहीं है ।चौथा ,सीमा पार करने वाले सशस्त्र व्यक्ति हटाने के बजाय भारत ने चीन से निराधार मांग की और सवाल हल करने की कोई सदिच्छा नहीं है ।यह शांति के लिए नहीं है ।
कंग श्वांग ने कहा कि अगर भारत सचमुच शांति को मूल्यवान समझता है ,तो उसे फौरन ही सेना हटानी चाहिए ।(वेइतुङ)