गुरुवार को एक साक्षात्कार में सिन्हुआ से बात करते हुए श्रीलंकाई मंत्री ने कहा कि चीन और श्रीलंका ने प्राचीन समय से मजबूत संबंध बनाए रखे हुए हैं, और वर्तमान में यह संबंध अपने सबसे मजबूत स्तर पर है।
श्रीलंका में बड़े पैमाने पर चीनी निवेश लाया गया खासकर जब 2009 में सरकारी सैनिकों और तमिल टाइगर विद्रोहियों के बीच गृहयुद्ध अंत हुआ था। करुणानायके ने कहा कि अधिक चीनी निवेश से देश को लाभ होगा।
उन्होंने कहा कि हम चीन से आने वाले निवेश की सराहना करते हैं, लेकिन हम बहुत अधिक देखना चाहते हैं।
विदेश मंत्री रवि करुणानायके ने यह दोहराया कि श्रीलंका जल्द ही एक वैश्विक व्यापारिक केंद्र बन जाएगा। उन्होंने कहा कि बेल्ट और रोड पहल में श्रीलंका की भागीदारी अपने व्यापारिक स्थिति को और भी मजबूत करेगी।
उन्होंने कहा कि हम खुश है कि हम इस पहल के भागीदार हैं और एक सरकार के नाते, इसमें शामिल होने से, हम पहल से प्राप्त लाभों के कारण 'श्रीलंका पहले' दृष्टिकोण को लागू कर रहे हैं।
बता दें कि चीन अरबों डॉलर के बुनियादी ढांचा निर्माण परियोजनाओं के साथ श्रीलंका के सबसे बड़े विकास भागीदारों में से एक बन गया है। चीन श्रीलंका के प्रमुख एफडीआई स्रोतों में से एक है।
(अखिल पाराशर)