चीन और भारत विश्व के दो सबसे बड़े बाजार हैं। दोनों देशों का मजबूत व्यापार सहयोग और खुली अर्थ व्यवस्था नीति की वकालत निश्चित तौर पर खुले वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देगा। साथ ही ये नीतियां संरक्षणवाद को रोकने का काम भी करेंगी। विश्व में संरक्षणवाद के उभार के दौर में भारत की विदेश आर्थिक नीति महत्वपूर्ण शक्ति है।
दक्षिण एशियायी देशों ने सकारात्मक और खुली विदेश आर्थिक नीति को अपनाया है। खुली विदेश व्यापार नीति के महत्वपूर्ण पोषक के रूप में काम कर रहे हैं।
भारत की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने सक्रिय विदेश नीति लागू की है। इससे विदेशी निवेश नीति में सुधार आया है। घरेलू उद्योगों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में जाने के लिए प्रोत्साहन मिला है।
भारत सक्रिय रूप से विदेशी निवेश को आकर्षित कर रहा है। देश में निवेश के लिए अनुकूल वातावरण भी तैयार किया है। पिछले दो साल में भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बड़ा केंद्र बन गया है। भारत में चीन के राजदूत ल्वो चाओह्वेई ने कहा कि भारत के मौजूदा सुधार और खुली नीतियां बहुत प्रभावित करने वाली है जो "मेड इन इंडिया" की रणनीतिक योजना को आगे ले जाएंगी। यह पूरब की ओर रणनीति रास्ता प्रस्तुत करना भी है।
चाओखुई ने कहा कि भारत आंतरिक संपर्क की पहल में काफी आगे चला गया है। बंगाल की खाड़ी के बहु- क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग समझौतों को भारत बढ़ावा देता है। आतंरिक संपर्क और ß बेल्ट एंड रोडß के संबंध में हम दो पड़ोसी देशों को स्वाभाविक साझेदार होना चाहिए।
जय प्रकाश