मेड इन चाइना की धूम के बीच चीनी कंपनियां दुनिया भर में अपना नाम कमा रही हैं। इनमें फ़ूच्यान प्रांत के श्यामन की कंपनियों की भी प्रमुख भूमिका है। श्यामन पहुंचने के बाद हमें इन कंपनियों का दौरा करने का अवसर मिल रहा है। मंगलवार को देशी-विदेशी पत्रकारों को श्यामन सी एंड डी कंपनी, हाईथौउ लॉजिस्टिक्स कंपनी और वान ली स्टोन कंपनी के सेंटर ले जाया गया। उक्त कंपनियां मुख्य तौर पर ब्रिक्स देशों के साथ व्यापार करती हैं।
श्यामन सी एंड डी कंपनी फ़ूच्यान प्रांत की सबसे बड़ी कंपनी मानी जाती है। हाल ही में कंपनी दुनिया की 500 सबसे ताकतवर कंपनियों की सूची में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है। 49 मंजिला इमारत में स्थित इस कंपनी के दफ्तर जाकर पता चला कि यहां से कई वस्तुओं का भारत, रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सहित तमाम बड़े देशों के साथ आयात-निर्यात होता है। जिसमें शिपिंग से जुड़ी वस्तुओं के अलावा टेक्सटाइल, कृषि, इलेक्ट्रोकैमिकल, रबर और कई तरह के रासायनिक उत्पाद शामिल हैं।
यह कंपनी भारत के साथ अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए उत्सुक है, इसके तहत आंध्र प्रदेश में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की योजना पर काम हो रहा है। कंपनी के प्रबंधकों को उम्मीद है कि आने वाले समय में भारत और चीनी उद्योगों के बीच आदान-प्रदान और मजबूत होगा।
इसके साथ ही हम वान ली स्टोन कंपनी के निर्माण केंद्र गए। लगभग तीस साल पहले स्थापित यह कंपनी संगमरमर, ग्रेनाइट और अन्य तरह के पत्थरों को तैयार कर बाज़ार में पहुंचाती है। जो कि भवन निर्माण में बहुत काम आते हैं। हाल के वर्षों में जिस अनुपात में लग्ज़री घरों और बिल्डिंग्स की डिमांड बड़ी है, उसी अनुपात में इस कंपनी के बिजनेस में भी इजाफा हुआ है। यहां बनने वाली चीज़ें रूस और यूरोपीय देशों में निर्यात की जाती हैं। जबकि भारत से ग्रेनाइट बड़ी मात्रा में यहां मंगाया जाता है। भारत का ग्रेनाइट की गुणवत्ता अच्छी बतायी जाती है। यहां हमने भारत से आने वाले ग्रेनाइट के बारे में जानकारी हासिल की।
स्टोन कंपनी के बाद हम पहुंचे युआन हाइ कंटेनर पोर्ट। यहां से विश्व के कई देशों को माल भेजा जाता है। विशाल क्षेत्र में फैले इस पोर्ट को चीन का पहला स्वचालित पोर्ट भी कहा जाता है। यहां पर बड़ी-बड़ी चालकरहित गाड़ियां कंटेनरों को लादने और उतारने का काम करती हैं।
इस तरह यह पोर्ट चीन के अहम बिजनेस केंद्रों में से एक है।
अनिल आज़ाद पांडेय