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    चीनी पंरपरागत चिकित्सा 183 देशों और क्षेत्रों में फैली हुई है
    2017-07-24 10:55:09 cri
    6 से 7 जुलाई तक ब्रिक्स देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों का सम्मेलन यानी परंपरागत चिकित्सा उच्च स्तरीय सम्मेलन उत्तरी चीन के थ्येन चिन शहर में आयोजित हुआ। चीनी राजकीय परंपरागत चिकित्सा ब्यूरो के अंतरराष्ट्रीय सहयोग विभाग के उप प्रधान चू हाई तुंग ने बताया कि ब्रिक्स देश परंपरागत चिकित्सा के बड़े देश हैं। इस सम्मेलन से परंपरागत चिकित्सा ब्रिक्स देशों और विश्वभर की जनता को अधिक लाभ पहुंचाएगी। वर्तमान में चीनी परंपरागत चिकित्सा 183 देशों और क्षेत्रों में फैली हुई है। 30 से अधिक देशों और क्षेत्रों में कई सौ चीनी परंपरागत चिकित्सा स्कूल खोले गये हैं, जो स्थानीय चीनी परंपरागत चिकित्सक तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा हर साल लगभग 13 हजार विदेशी छात्र चीनी परंपरागत चिकित्सा सीखने के लिए चीन आते हैं और 2 लाख विदेशी रोगी चीनी परंपरागत चिकित्सा सेवा से अपना इलाज करवाने के लिए चीन आते हैं।

    ब्रिक्स देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों का सम्मेलन हाल ही मे थ्येन चिन में आयोजित हुआ

    इस मई में जर्मन एक्यूपंक्चर और Neural therapy संघ द्वारा आयोजित चीनी परंपरागत एक्यूपंक्चर ट्रेनिंग क्लास पर दसेक युवा डॉक्टर बड़े ध्यान से चीनी परंपरागत चिकित्सा की मरेडियन के बारे में सुन रहे थे। मंच पर भाषण दे रही प्रोफेसर शिवानिज की आयु 72 वर्ष है। उनको जर्मनी में एक्यूपंक्चर के ज़रिये लोगों का इलाज और पढ़ाई करते हुए 40 वर्ष बीत चुके हैं। इस अप्रैल में उन्होंने जर्मन एक्यूपंक्चर और न्यूरल थेरपी संघ के उपाध्यक्ष का पद छोड़ा और पूरी शक्ति पढ़ाई और इलाज में लगा दी। वे एक्यूपंक्चर का काम करने में आनंद महसूस करते हैं। उन्होंने बताया ,चीनी परंपरगात चिकित्सा के सिद्धांत और अभ्यास के दो पहलू हैं, लेकिन उनका एकीकरण भी है। पश्चिमी चिकित्सा में है तो है ही, नहीं है तो नहीं है, यानी ए नहीं है तो बी है। चीनी परंपरागत चिकित्सा के सिद्धांत के बारे में हमारे लिए ठोस कंसेप्ट के रूप में समझना काफी मुश्किल है। जर्मन लोगों के लिए ठोस या निश्चित चीज समझना आसान है। आज अधिक छात्र नहीं आये हैं। आम तौर पर एक क्साल में 20 से 30 छात्र होते हैं। हमारे यहां मुख्य तौर पर एक्यूपंक्चर की अभ्यास क्लास और ग्रुप डिस्कशन क्लास होती हैं।

    चीनी परंपरागत चिकित्सा की जड़ी बूटी

    इस बात से ज़ाहिर है कि चीनी परंपरागत चिकित्सा का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव बढ़ रहा है। चीनी राजकीय परंपरागत चिकित्सा ब्यूरो के अंतरराष्ट्रीय सहयोग विभाग के उप प्रधान चू हाई तुंग ने बताया कि चीन सरकार ने विदेशी सरकारों, संस्थाओं और संगठनों के साथ चीनी परंपरागत चिकित्सा सहयोग से जुड़े 86 समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं। चीनी परंपरागत चिकित्सा चीन और विश्व के विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक मेलजोल का एक अहम विषय बन गया है। परंपरागत चिकित्सा की पढ़ाई और इलाज के अलावा चीन ने 70 से अधिक देशों में चिकित्सा टीम भेजी हैं। उन चिकित्सा टीमों के डॉक्टरों में परंपरागत चिकित्सकों का अनुपात 10 प्रतिशत है। वर्तमान में चीनी परंपरागत चिकित्सा के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मान्यता निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने बताया,अब चीनी परंपरागत चिकित्सा 183 देशों और क्षेत्रों में फैल चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार 103 सदस्य देशों ने एक्यूपंक्चर के प्रयोग की मंजूरी दी है, जिनमें से 29 देशों ने परंपरागत चिकित्सा के कानून और नियमावली बनायी है और 18 देशों ने एक्यूपंक्टर चिकित्सा बीमा व्यवस्था में शामिल करायी है। चीनी परंपरागत चिकित्सा अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा व्यवस्था में कदम दर कदम दाखिल हो रही है। चीनी परंपरागत औषधि रूस, क्यूबा, वियतनाम, सिंगापुर और यूएई जैसे देशों में दवाईयों के रूप में दर्ज हुई हैं। वर्ष 2016 में परंपरागत दवाईयों का निर्यात 3 अरब 42 करोड़ अमेरिकी डॉलर का था।

    चीनी परंपरागत चिकित्सा विदेशो में भी लोकप्रिय हो रही है

    चीनी परंपरागत चिकित्सा के अवाला ब्राज़ील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका परंपरागत चिकित्सा के बड़े देश भी हैं। ब्रिक्स देशों की पंरपरागत चिकित्सा बैठक का उद्देश्य परंपरागत चिकित्सा से ब्रिक्स देशों और विश्व की जनता को अधिक कल्याण पहुंचानी है। इस संदर्भ में ब्रिक्स देशों का सहयोग परंपरागत चिकित्सा और दवाईयों की अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धात्मक शक्ति को बढ़ाने के लिए बड़ा महत्व रखता है। उन्होंने बताया, ब्रिक्स देश परंपरागत चिकित्सा के बड़े देश हैं और जैविक विविधता के बड़े देश भी हैं। परंपरागत चिकित्सा और दवाईयों के अंतरराष्ट्रीय मापदंड और अंतरराष्ट्रीय नियमावली बनाने और अंतर्राष्ट्रीय जैविक विविधता के संरक्षण समझौते के कार्यांवयन में ब्रिक्स देशों के व्यापक हित हैं। ब्रिक्स देशों के एकजुट होने से संबंधित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अधिक बड़ा प्रभाव पड़ेगा और प्रतिस्पर्द्धात्मक शक्ति बढ़ेगी। (वेइतुङ)

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