अमेइ पहाड़ ---चीन के चार सब से मशहूर बौद्ध पहाड़ों में से एक
अमेइ पहाड़ दक्षिण पश्चिमी चीन के सछ्वांग प्रांत में स्थित है। वह चीन के चार सबसे मशूहर बौद्ध पहाड़ों में से एक है। अमेइ पहाड़ में 20 से अधिक मंदिर बने हुए हैं। अमेइ पहाड़ का प्राकृतिक दृश्य बहुत सुंदर है। यहां साल भर हरियाली रहती है। वनस्पतियों की संख्या 3000 से ज्यादा है। अमेइ की चोटी वानफोतिंग की ऊँचाई 3099 मीटर है। अमेइ पहाड़ पर ढेर सारे बंदर रहते हैं। वे अक्सर पर्यटकों से खाना मांगते हैं, ये वहां की एक बड़ी विशेषता है। 1996 में अमेइ पहाड़ और उसके आसपास स्थित ल शान महान बुद्ध प्रतिमा सांस्कृतिक और प्राकृतिक दोहरी संपत्ति के रूप में युनेस्को द्वारा विश्व संपत्तियों की नाम सूची में शामिल की गई है।
अमेइ पहाड़ पर रहने वाला बंदर
अमेइ शान की प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपत्ति की सुरक्षा में स्थानीय सरकार बड़ी पूंजी लगाती है। यहां स्थित मंदिरों के भिक्षु भी संरक्षक की भूमिका निभाते हैं। अमेइ पहाड़ बौद्ध कॉलेज के उप प्रधान मास्टर लोंग त्सांग ने सीआरआई के संवाददाता को बताया,मंदिर कुछ पशुओंग की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाते हैं। उदाहरण के लिए अमेइ पहाड़ के बंदर बहुत मशूहर हैं। सर्दी में जब पहाड़ बर्फ से ढंका रहता है, तो बंदरों को खाना ढूंढने में बड़ी कठिनाई होती है। पहाड़ पर बसे मंदिर हर सर्दियों में बंदरों के लिए खाना तैयार करते हैं और निश्चित समय पर उन्हें खिलाते हैं। प्राचीन समय से ही यह परंपरा बनी हुई है और अब तक बनी है।
अमेइ पहाड़ के मंदिरों का इतिहास एक हजार वर्ष पुराना है। मंदिर के भवन निर्माण और पहाड़ी दृश्य एक दूसरे की सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं। मास्टर लोंग त्सांग ने बताया कि जहां बौद्ध मंदिर होते हैं, वहां प्राकृतिक पर्यावरण का विकास सामंजस्यपूर्ण रहता है। उन्होंने बताया, बौद्ध मंदिर प्रकृति के संरक्षण को बड़ा महत्व देता है। बौद्ध धर्म के उपदेशों में वनस्पति और पशुओं की सुरक्षा के विषय़ शामिल हैं। इस लिए जहां बौद्ध धर्म के मंदिर हैं, वहां प्रकृतिक और मानव का सामंजस्यपूर्ण विकास होता है। जब आप मंदिर आते हैं, तो आँगन में अक्सर ऊंचे ऊंचे पुराने पेड़ नजर आते हैं। वे कम समय में इतने ऊंचे नहीं उग सके। वे तो कई सौ वर्ष पुराने हैं, यहां तक कि कुछ पेड़ हज़ार वर्ष पुराने हैं।
पहाड़ पर स्थित वान न्येन मंदिर
पशु और वनस्पति की सुरक्षा के अलावा अमेइ पहाड़ के भिक्षु बौद्ध धर्म के प्राचीन अवशेषों की सुरक्षा को बड़ा महत्व भी देते हैं। वान न्येन मंदिर अमेइ के मुख्य मंदिरों में से एक है, उसे अमेइ पहाड़ का दिल कहा जाता है। उनका निर्माण 1500 वर्ष पहले पूर्वी चिन राजवंश में शुरू हुआ था। मंदिर में कई सौ वर्ष पहले के मिंग राजवंश की बहुत सी प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं। यहां ताड़पत्र सूत्र भी सुरक्षित हैं। उनमें पाली भाषा में लिखी गयी फा हुआ यानी कमल सूत्र है, जो पूरी तरह सुरक्षित है। वानन्येन मंदिर के मास्टर पन पाओ ने इसकी चर्चा करते हुए कहा, ये तो ताड़ पत्र सूत्र हैं। ये कमल सूत्र है, जिसमें कुल 246 पत्ते हैं। पेड़ का नाम पत्र ताड़ का पेड़ (pattra palm tree) है। ये उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में उगते हैं, जिसकी ऊँचाई दसियों मीटर हो सकती है और पत्ते की चौड़ाई कई मीटर है। पत्ते निकाले जाने के बाद उसे औषधि के साथ उबाला जाता था। फिर सुखाने के बाद उस पर लौह कलम से सूत्र की नक्काशी की जाती थी। नक्काशी करने के बाद उसपर काजल जैसी चीजों से रंग किया जाता था, तो लिपि काली हो जाती थी। ताड़ पत्र सूत्र कीड़े और नमी निरोधक हैं और टूट फूट से भी बचते हैं। इसलिए सछ्वांग जैसे इतने आर्द्र क्षेत्र में ताड़ पत्र सूत्र कई सौ वर्ष बीत जाने के बाद भी यथावत बने रहते हैं। ये सचमुच एक बड़ा कीर्तिमान है।
वान न्येन मंदिर की प्राचीन इमारत
अमेइ पहाड़ बौद्ध संघ हर साल मंदिरों की इमारतों और प्राचीन अवशेषों की रख रखाव और मरम्मत करता है और समग्र मंदिरों का एकसाथ प्रबंधन करता है ताकि एकसाथ संपूर्ण विकास पूरा हो सके। अमेइ पहाड़ बौद्ध संघ के अध्यक्ष मास्टर योंग शो ने पूरे अमेइ पहाड़ को तीन क्षेत्रों में बांटा है। चिनतिंग यानी स्वर्ण चोटी बौद्ध धर्म की तीर्थयात्रा का केंद्र है। वान न्येन मंदिर तपस्या का केंद्र है। बुद्ध मंदिर बौद्ध सांस्कृतिक और शैक्षणिक केंद्र है। अमेइ पहाड़ पर स्थित मंदिरों के एकतापूर्ण प्रबंधन की चर्चा करते हुए फायुन ने कहा कि ये अमेइ पहाड़ की सांस्कृतिक संपत्ति का महत्वपूर्ण पहलू है। उन्होंने कहा, अमेइ पहाड़ में कुल 28 मंदिर हैं, जिनका एकतापूर्ण प्रबंध किया जाता है। पर्यटन उद्योग के तेज़ विकास के साथ कुछ मंदिर सरगर्म पर्यटन लाइन पर स्थित हैं और वहां जाने के लिये सुविधाजनक यातायात है, तो अधिकतर पर्यटक वहां जाते हैं और उन मंदिरों की आय ज्यादा होती है। लेकिन कुछ मंदिरों की यातायात स्थिति अच्छी नहीं है और कम पर्यटक वहां जाते हैं और इसलिये उन मंदिरों की आय कम है। लेकिन हर मंदिर में हमारे भिक्षु रहते हैं। भिक्षुओं के रहने से मंदिर की सुरक्षा की जा सकती है। अमेइ पहाड़ प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोहरी संपत्ति है। सांस्कृतिक संपत्ति वास्तव में बौद्ध संस्कृति है। मंदिर में भिक्षु रहते हैं, तो वे मंदिरों की निगरानी कर सकते हैं। चाहे इमारत हो, भवन हो या प्रतिमा, उसकी समस्या है, तो भिक्षु जल्दी से बौद्ध संघ को रिपोर्ट कर सकते हैं। बौद्ध संघ सूचनी मिलने के बाद पेशेवर कर्मचारी वहां भेज सकता है और मरम्मत करा सकता है। अगर मरम्मत काम कठिन या जटिल है, बौद्ध धर्म संघ संबंधित विशेषज्ञ निमंत्रित करता है।
अमेइ पहाड़ की प्रचुर प्राकृतिक और सांस्कृतिक संपदाएं हैं। अमेइ पहाड़ में रहने वाले भिक्षु उन संपदाओं की सुरक्षा करने की यथासंभव कोशिश कर रहे हैं ताकि वे बेहतर रूप से पर्यटकों के सामने दिखे। (वेइतुङ)