《राजा गेसार》विश्व में सबसे लम्बा एतिहासिक महाकाव्य है। वह पुरानी तिब्बती जाति और मंगोलियाई जाति की लोक संस्कृति और मौखिक कहानी कला का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।《राजा गेसार》का लम्बा इतिहास, महान ढांचा और प्रचुर विषय है, जिसे एक वीरगाथा रस की कविता मानी जाती है। महाकाव्य《राजा गेसार》तिब्बती जाति की प्रथाओं, कविताओं और कहावतों के आधार पर रचित कविता है, जो पुरानी तिब्बती जाति की संस्कृति की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करती है। वर्ष 2009 में《राजा गेसार》महाकाव्य विश्व की गैर-भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल की गई है।
विश्व में सबसे लम्बे मौखिक ऐतिहासिक महाकाव्य के रुप में《राजा गेसार》को विरासत में ग्रहण करते हुए उसका विकास पीढ़ी दर पीढ़ी तिब्बती लोगों की जुबानों से किया जाता है। गायन वाचन कला के रुप में《राजा गेसार》का इतिहास अब तक एक हज़ार से अधिक वर्ष पुराना है।
मानव जाति के इस मूल्यवान गैर-भौतिक सांस्कृतिक अवशेष के कारगर बचाव के लिए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पुस्तकालय ने उत्तर तिब्बती क्षेत्र स्थित नाछ्यु प्रिफेक्चर के 14 कथा वाचकों को आमंत्रित किया। उन्होंने दिसम्बर 2015 से अब तक कुल 1022 घंटे के 36 ओडियो रिकोर्डिंग तैयार किये। बाद में इन रिकोर्डिंग को नागरिकों के लिए सार्वजनिक किया जाएगा।
(श्याओ थांग)