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शनचेन अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक उद्योग मेला चीन और भारत का वाणिज्यिक पुल है
2017-05-23 10:00:30 cri

13वां चीनी शनचेन अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक उद्योग मेला इस मई के मध्य में शनचेन शहर में आयोजित हुआ। इस मेले का आयोजन एक लाख पांच हज़ार वर्ग मीटर क्षेत्र में किया गया था। इसमें केंद्रीय सांस्कृतिक उद्योग प्रदर्शनी भवन और 8 पेशेवर प्रदर्शनी भवन थे। नौ प्रदर्शनी भवनों में नंबर सात प्रदर्शनी भवन एक पट्टी एक मार्ग अंतरराष्ट्रीय भवन था, जो चालू साल में मेले का सबसे बड़ा ज्वलंत बिंदु था। एक पट्टी एक मार्ग अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, सिंगापुर, भारत, पाकिस्तान और थाईलैंड समेत देशों और क्षेत्रों ने भाग लिया।

इस प्रदर्शनी की चर्चा करते हुए शनचेन शहर की उप मेयर वू यीहुएं ने बताया,मौजूदा सांस्कृतिक उद्योग मेला एक पट्टी एक मार्ग की वकालत के समर्थन के लिए चीनी संस्कृति के बाहर जाने पर जोर देता है। इससे पहले एक पट्टी एक मार्ग भवन को एक पट्टी एक मार्ग अंतरराष्ट्रीय भवन के रूप में सुधारा गया था। इसमें प्रदर्शनी की वस्तुएं अधिक प्रचुर हो गयी हैं। इस भवन में विभिन्न देशों के प्रदर्शनी क्षेत्र, संस्कृति प्लस व्यापार क्षेत्र और थीर्थर प्रदर्शनी क्षेत्र थे, जो मुख्य तौर पर एक पट्टी एक मार्ग पर स्थित देशों और क्षेत्रों की परंपरागत शिल्पकला, आइडिया और डिजाइन, गैर भौतिक सांस्कृतिक धरोहर, पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाता था। विश्व के पाँच महाद्वीपों के 40 देशों और क्षेत्रों की 117 संस्थाओं ने इसमें भाग लिया, जिनमें इजरायल और अमेरिका ने पहली बार अपना सरकारी मंडल भेजा। विदेशी संस्थाओं का प्रदर्शनी क्षेत्रफल कुल प्रदर्शनी क्षेत्र का 20 प्रतिशत था। चीनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए इस मेले ने चीन की मुख्य वैदेशिक सांस्कृतिक कंपनियों और 52 मशहूर अंतरराष्ट्रीय पर्चेज़ कंपनियों को निमंत्रण भेजा था और प्रदर्शनी में देसी विदेशी संस्थाओं से रूबरू कराया और दो हस्ताक्षर समारोह, दो सांस्कृतिक उत्पाद रिलीज़ समारोह आयोजित किये। मेले के दौरान एक पट्टी एक मार्ग से केंद्रित दसियों मंच, वार्ता और हस्ताक्षर समारोह समेत कार्यक्रम हुए, जिसने चीन और एक पट्टी एक मार्ग पर स्थित देशों के बीच सांस्कृति और व्यापारिक आदान-प्रदान को बढ़ाया।

मेले पर प्रदर्शन कर रहे भारतीय शिल्पकार

एक पट्टी एक मार्ग अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी भवन में भारतीय प्रदर्शनी सबसे ध्यानाकर्षक थी। भारत में सबसे बड़ा सांस्कृतिक वाणिज्य संघ भारत-चीन आर्थिक और सांस्कृतिक संवर्द्धन संघ ने इस प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें 6 भारतीय संस्थाएं शामिल हुईं। भारतीय प्रदर्शनी में भारतीय शैली वाले फर्नीचर, कंगन, काष्ठ नक्काशी, हैंड पेंटिंग, गोल्डलीफ चित्र प्रदर्शित किये गए। इस स्थल पर भारतीय गैर भौतिक परंपरागत शिल्पकारों ने प्रदर्शन किया। भारत-चीन आर्थिक और सांस्कृतिक संवर्द्धन संघ के चीनी पक्ष के प्रतिनिधि काओ सीछी ने बताया, भारत-चीन आर्थिक और सांस्कृतिक संवर्द्धन संघ की स्थापना वर्ष 2003 में हुई थी, जिसका उद्देश्य चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक मेलजोल बढ़ाना है। इधर दो साल हमने चीन में आयोजित प्रदर्शनी में भाग लेने वाले भारतीय मंडल का गठन शुरू किया। यह पहली बार है कि हम शनचेन सांस्कृतिक उद्योग मेले में भाग ले रहे हैं। हमने खासकर पाँच क्षेत्रों के शिल्पकारों को निमंत्रण दिया है। वे कंगन, शॉल, कश्मीरी कंबल, लकड़ी के फर्नीचर और मिनियेचर पेंटिंग बनाने में कुशल हैं। इस मेले में हमारे भाग लेने का उद्देश्य अधिक चीनियों को भारतीय परंपरागत शिल्पकला से अवगत कराना है। उदाहरण के लिए इस शॉल के मुख्य तत्व ऊनी हैं। ऊन की मात्रा अलग अलग है, तो शॉल के दामों में बड़ा अंतर है। सस्ता वाला महज कुछ सौ युवान का है, जबकि महंगा वाला दस हजार युआन से अधिक का है। शॉल पर सजावत पैटर्न हाथों से काढ़ा गया है। यह शिल्प कला भारत में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।

मेले पर भारतीय कांस्य बरतन

क्वांग चो स्थित भारत के महावाणिज्य दूतावास की जनरल काउंसिलर दीपिका शर्मा ने इस मेले के उद्घाटन के दिन भारतीय प्रदर्शनी हॉल का दौरा किया। भारतीय हाल में व्यापारियों और दर्शकों की भीड़-भाड़ देखकर वे बहुत संतुष्ट थीं। उन्होंने इस मेले के आयोजकों को धन्यवाद दिया और चीन भारत व्यापार के भविष्य पर विश्वास जताया। उन्होंने कहा, दो बड़े पड़ोसी देश होने के नाते हमारे बीच कई अंतर मौजूद हैं, पर समानताएं भी अधिक हैं। हमें मतभेदों को ताख पर रखकर समानता का अनुसरण करना चाहिए। हमारे नेता हमें विकास की सही दिशा निर्देशित करते हैं। मुझे विश्वास है कि चीन-भारत व्यापार इतिहास के किसी भी काल के मुकाबले बहुत अच्छी स्थिति में होगा। शनचेन सांस्कृतिक मेला दोनों देशों के संबंधों के विकास में लगता है और दोनों देशों की जनता की पारस्परिक समझ बढ़ाता है। मेले में बहुत से व्यापारी, उद्यमी और दर्शक आते रहते हैं। भारतीय व्यापारी यहां चीनी बाज़ार ढूंढते हैं और चीनी लोगों को यहां भारतीय वस्तुएं खरीदते हैं। व्यापार का केंद्र, समझ और विश्वास है। दोनों पक्षों के बीच संबंधों की स्थापना, दोस्ती बनाना और विश्वास प्राप्त करना व्यापार विकास का आधार है। शनचेन सांस्कृतिक मेले ने ऐसा मंच प्रदान किया है।

भारतीय प्रदर्शनी मंडल के भारतीय पक्ष की प्रमुख श्रीमती शर्मा दूसरी बार शनचेन सांस्कृतिक उद्योग मेले में आयीं। पहली बार की जल्दबाजी की तुलना में शर्मा ने इस बार बहुत तैयारी की। वे संबंधित भारतीय संस्थाओं को चीनी बाज़ार के द्वारा खटखटाने के लिए मदद देंगी। खुशी की बात है कि इस बार भुगतान का सवाल अच्छी तरह सुझाया गया है। उन्होंने बताया, पिछले सांस्कृतिक उद्योग मंच में हमने बहुत से ग्राहक खो दिये, क्योंकि हमें चीन में प्रचलित अलि-पे और वीचेट जैसे भुगतान नहीं आते थे। कुछ वस्तुओं का दाम ऊँचा था और ग्राहकों के पास पर्याप्त कैश नहीं थे। इस बार हमने सबक लिया है और पता है कि चीन में व्यापार करने के लिए मोबाइल से भुगतान करना काफी महत्वपूर्ण है। इस बार प्रदर्शनी में आने वाले सभी भारतीय व्यापारियों ने अपने मोबाइल पर अलि-पे और वीचेट से भुगतान का फंक्शन खोला है।

(वेइतुङ)

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