लेखक- दातेश परुलेकर
एक पट्टी एक मार्ग अंतरराष्ट्रीय सहयोग शिखर मंच पेइचिंग में आयोजित होगा। हाल ही में भारत के गोआ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दातेश परुलेकर ने सीआरआई के साथ हुई बातचीत में आशा व्यक्त की कि भारत और चीन वार्तालाप से एक पट्टी एक मार्ग पर मौजूद मतभेद दूर कर एक साथ सुंदर भविष्य का निर्माण करेंगे।
दातेश परुलेकर ने कहा कि प्राचीन रेशम मार्ग का इतिहास 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है। अब चीनी राष्ट्रपति ने प्राचीन रेशन मार्ग के आधार पर एक पट्टी एक मार्ग की वकालत की है। यह चीन से विश्व को प्रस्तुत लाभदायक सार्वजनिक उत्पाद है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में विश्व के विभिन्न समुदाय घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। कोई भी देश अपने से विकसित नहीं हो सकता। उसे ज्यादा तरक्की पाने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग करना होता है। घरेलू बाज़ार की तुलना में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार विशाल है। अब भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच वार्ता तंत्र स्थापित हुआ है। हमें इस तंत्र के तहत सवालों के ब्योरों पर विचार कर समान विकास पूरा करना चाहिए।
भारत और चीन न सिर्फ मित्रवतर्ण पड़ोसी देश हैं, बल्कि नवोदित आर्थिक समुदाय भी हैं। माना जा रहा है कि 21वीं सदी चीन और भारत की सदी है। वर्ष 2050 तक विश्व के दो सब से बडे आर्थिक समुदाय भारत और चीन हैं। विकास का मौका देखने के साथ हमें अपनी जिम्मेदारी महूसस करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नृत्व में भारत-चीन संबध निरंतर आगे बढेंगे।
(दातेश परुलेकर)