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    छोटी चाय पत्ती से सुखमय बना जीवन
    2017-05-02 15:03:26 cri
    दक्षिण-पूर्वी चीन के फू चेन प्रांत की श्यो निंग काउंटी का श्या तांग गांव पहाड़ों में स्थित एक छोटा सा गांव है। सुदूर अंचल में बसा और खराब यातायात स्थिति की वजह से श्या तांग गांव को श्यो निंग काउंटी का साईबेरिया पुकारा जाता है। पहले लोग सिर्फ यह जानते थे कि श्या तांग गांव बहुत गरीब है। इधर कुछ सालों में श्या तांग न सिर्फ अपने चाय ब्रांड "गांव का ज़ायका" से व्यापक उपभोक्ताओं का पसंदीदा स्थल बन गया, बल्कि गरीबी से मुक्ति पाने का रास्ता भी खोज निकला।

    सुबह श्या तांग गांव में 52 वर्षीय वांग मिंगच्यांग और उनकी पत्नी ने सुबह जल्दी उठकर चाय की पत्तियां चुनने की तैयारी शुरू की। वांग मिंगच्यांग ने ठेके पर कई हज़ार चाय के पौधे लिये हैं। मांग मिंगच्यांग का अनुमान है कि एक साल में वे अपनी पत्नी के साथ चाय की पत्तियां चुनने से 1 या दो हज़ार युआन कमा सकते हैं। उन्होंने बताया, जैसे आज की तरह हम चाय की पत्तियां चुनते हैं, तो हमें एक दिन कोई तीन सौ युआन मिलते हैं। एक साल में एक दिन तीन सौ युआन पाना आसान है, कभी कभी एक दिन में आठ सौ युआन भी मिलते हैं।

    चाय की आय पर उन्होंने तीन मंजिली इमारत खड़ी कर ली। चालू साल में वे अपने मकान को अच्छी तरह सजाना चाहते हैं। वांग मिंगच्यांग ने बताया कि उनके दो बेटों ने फू चेन के श्या मेन शहर में एक छोटा सुपरमार्केट खोला है। इधर दो वर्षं में कमाये गये कुछ पैसों का इस्तेमाल मकान बनाने में किया गया और कुछ को सुपरमार्केट में निवेश किया गया।

    वांग मिंगच्यांग दंपति अपने चाय उद्यान में

    पर तीन साल पहले वांग मिंगच्यांग के घर की स्थिति वर्तमान की तुलना में एकदम अलग थी। उस समय चाय की पत्तियां चुनने की सालाना आय सिर्फ हजार युआन थी। दोनों बेटों के स्कूली खर्च और घर की दिनचर्या के खर्चे के लिए उनका हाथ बहुत तंग रहता था। अधिक पैसे कमाने के लिए वांग मिंगच्यांग दंपति अक्सर बाहर जाकर मजदूरी करते थे। उनकी पत्नी वांग क्वेनचु ने याद करते हुए कहा कि उस समय दूसरे के लिए मजदूरी करना बहुत कठोर काम होता था और आय भी बहुत कम मिलती थी। उनका कहना है, उस समय हमें बाहर जाकर मज़दूरी करना पड़ता था। रेस्तरां में कटोरे और बरतन धोने से एक महीने में सिर्फ 1 हजार युआन मिलते थे। दूसरे के लिए बांस काटते थे, तो एक दिन में 60 या 70 युआन मिलते थे ।अगर वर्षा होने के बाद हम पहाड़ पर नहीं जा सकते थे और एक दिन पैसा नहीं मिलता था। कभी कभी हम दूसरे के लिए कुली का काम भी करते थे। सीमेंट ढोने के लिए एक दिन में सिर्फ 18 युआन मिलते थे। हमें काम करना था,क्योंकि बच्चे पढ़ रहे थे।

    वर्ष 2014 में श्या तांग गांव में वांग मिंगच्यांग जैसे गरीब किसानों की मदद के लिए कस्टमाइज्ड चाय उद्यान का मॉडल अपनाया गया। गांव की किसान समिति ने मुफ्त में किसानों को चाय के पौधे, ऑर्गेनिक खाद और कीटनाशक दवाएं बांटा, चाय बाज़ार की ताज़ा सूचनाएं जारी की और बिक्री का चैनल ढूंढ निकाला। इसके अलावा किसान समिति ने चाय किसानों के साथ कंपनी बनाकर पूरे देश में चाय उद्यान के मालिक बनने का निमंत्रण दिया। उद्यान के मालिक किराये पर उद्यान लेते हैं और स्थानीय किसान चाय के पौधे लगाते हैं और चाय की पत्तियां चुनते हैं। हर साल वसंत और शरद दो ऋतुओं में किसान उद्यान के मालिक को चाय भेजते हैं।

    कस्टमाइज्ड चाय उद्यान के विकास के साथ श्या तांग गांव ने गांव का ज़ायका नाम के ट्रेड मार्क के लिये प्रार्थना पत्र भेजा और ऑर्गेनिक कृषि उपज पर ज़ोर लगाया। ब्रांड का प्रभाव बढ़ने से चाय बिकने का मुद्दा हल हो गया। श्या तांग गांव के प्रमुख छंग श्योफू ने बताया कि गांव का ज़ायका मार्क चाय किसान और बाज़ार के बीच एक पुल है। उन्होंने बताया, पहले हमारे किसान अव्यवस्थित और असंगठित थे। इसलिए चाय की पैदावार अधिक नहीं थी। उस समय चाय की कीमत मुख्य तौर पर बाहर से आये सौदागर तय करते थे। हमारे किसानों की कमाई बहुत कम थी। इसी कारण चाय उगाने में उनका उत्साह भी कम था, यहां तक कि कुछ चाय उद्यान बंजर हो गये थे। वास्तव में हमारी चाय की गुणवत्ता अच्छी है, पर पहले बिकने का माध्यम नहीं था। हमें अपनी ठोस स्थिति के अनुसार काम करना चाहिए। उगाने के अलावा बेचने का ज़रिया ढूंढना बहुत ज़रूरी है। इस तरह हमारे किसान गरीबी से छुटकारा पा सकेंगे।

    गांव का ज़ायका ब्रांड के तहत चाय कारखाना बनाया गया, जो चाय की पत्तियों की प्रोसेसिंग और पैकिंग करता है। चाय की पत्तियां चुनने के ऑफ सीज़न में कारखाना स्थानीय किसानों के लिए अस्थाई नौकरी प्रदान करता है। इस दौरान एक महीने की आमदनी कोई 3000 युआन रहती है। वांग मिंगह्वा ने बताया कि अब वे बाहर जाने के बजाय अच्छा जीवन बिता सकते हैं। उन्होंने बताया, लगता है कि वर्तमान जीवन पहले बाहर जाकर मज़दूरी करने की तुलना में अधिक आरामदायक हो गया है। बाहर मज़दूरी करने से कभी कभी पैसे नहीं मिलते। अब हमारी चाय की पत्तियां हैं। हम पत्तियां चुनते हैं। जो मिलता है, वह नकद है। सुबह चाय की पत्तियां चुनने जाते हैं और रात में वापस लौटने पर पैसे हमारे हाथ में होते हैं। ये बहुत अच्छा है।

    श्या तांग गांव की झलक

    चाय की पत्तियों की गुणवत्ता की गारंटी देने और उद्यान के मालिकों को विश्वास दिलाने के लिए गांव ने प्रोसेसिंग कारखाने और चाय उद्यानों में 26 सीसीटीवी कैमरे लगाये हैं, जो 24 घंटे सीधा प्रसारण करते हैं। चाय उद्यान के मालिक समय पर चाय उद्यान के प्रबंधन और कारखाने में प्रोसेसिंग की स्थिति देख सकते हैं। इस तरह उत्पाद के स्रोत का पता चलता है और उपभोक्ता उच्च गुण वाली चाय पी सकते हैं। छंग श्योफू ने बताया कि यह विजुलाइज्ड व्यवस्था कंपनी के ऑर्डर बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाती है। उन्होंने बताया, हम इस विजुलाइज्ड व्यवस्था के ज़रिये पहाड़ों में बसे किसानों को संगठित कर असली पारिस्थितिक (original ecology) उत्पाद प्रदान कर सकते हैं ।इस व्यवस्था से उत्पाद की बुकिंग हो सकती है। ऑर्डर मिलने के बाद चाय किसानों का उत्साह बुलंद होता है, क्योंकि उत्पाद-बिक्री की गारंटी मिली है और मुनाफा भी तय है। इधर कुछ सालों में हमने चाय की पत्तियों के गुण प्रबंधन, चाय उद्यानों के प्रबंधन और प्रोसेसिंग कारखाने के संचालन को बखूबी अंजाम दिया। हमारे उत्पादों को व्यापक ग्राहकों की मान्य मिली है।

    आंकड़ों के मुताबिक श्या तांग गांव की आबादी 1300 से अधिक है। प्रति व्यक्ति औसत सालाना आय वर्ष 2013 के 4000 युआन से बढ़कर वर्ष 2016 में 12 हजार से अधिक युआन हो गयी। जेब ज्यादा धन आने के बाद जीवन के प्रति वांग मिंगच्यांग की आकांक्षाएं और बढ़ गई हैं। वे इस साल किराये पर अधिक चाय उद्यान का पालन करना चाहते हैं। उन्होंने बताया, इस साल और तीन - चार हजार चाय के पौधे लगाएंगे। मैं हर साल कुछ अधिक चाय के पौधे लगाता हूं। वे अलग अलग किस्मों के हैं। उदाहरण के लिए फूयुन नाम की इस किस्म की चाय की पत्तियां चुनने के लिए आधा महीना लगता है। इसके बाद दूसरी किस्म की चाय की पत्तियां चुनी जाती हैं। आधे महीने के बाद और किसी किस्म की चाय की पत्तियां तोड़ने लायक बड़ी हो जाएंगी। इस तरह मैं हमेशा व्यस्त रहता हूं और ज्यादा से ज्यादा दिनों तक चाय की पत्तियों को चुनता हूं।

    वांग मिंगच्यांग को आशा है कि इस तरह का उत्पादन मॉडल दूसरे कृषि उपजों में भी प्रसारित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं सोचता हूं कि मेरी आयु अधिक हो गयी है। चाय की पत्तियां चुनने के अलावा कुछ चीनी शाहबलूत फल के वृक्ष लगाऊंगा और कुछ संतरे के वृक्ष भी लगाऊंगा। संतरे की फसल सितंबर में होती है। इसके बाद तो शाहबलूत की फसल है। इस तरह साल भर मेरी कमाई होगी और बाहर जाकर मज़दूरी करने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

    वे अपने पैतृक मकान के जीर्णोद्धार कराने के बारे में भी सोच रहे हैं ताकि 80 वर्षीय मां अधिक आरामदायक जीवन बिता सकें।

    60 साल पुराने मकान में झरने के पानी से बना ग्रीन टी पीने से बडा मज़ा आता है और गांव में अमन चैन का अनुभव कर सकते हैं। छोटी छोटी चाय की पत्तियों पर निर्भर रहकर श्या तांग गांव के लोगों को गरीबी की चपेट से मुक्ति मिली और अब उन्हें घर छोड़कर बाहर जाकर मज़दूरी करने की कोई जरूरत नहीं है। अपने चाय ब्रांड के विकास और बाज़ार के विस्तार से अधिकाधिक उपभोक्ता गांव का ज़ायका लें सकेंगे।

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