इधर के दिनों में पेइचिंग में चल रहे राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के पूर्णाधिवेशन में देश के राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री ली खछ्यांग आदि राज्य नेताओं ने अलग-अलग तौर पर अल्पसंख्यक जातीय प्रतिनिधियों के विचार-विमर्श में भाग लिया है।
चीन के 56 जातियों में 55 अल्पसंख्यक जातियां हैं । चीन सरकार हमेशा से अल्पसंख्यक जातीय मामलों को महत्व देती आयी है । राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने अनेक बार जोर देकर कहा कि वर्ष 2020 तक सभी गरीब लोगों को गरीबी से विमुक्त करवाने के लिए अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिये ।
अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा देने के लिए चीन सरकार ने भारी निवेश लगाकर छिंगहाई-तिब्बत रेलवे समेत अनेक अहम रेलवे मार्गों और राज्य मार्गों का निर्माण किया और तिब्बत और शिन्च्यांग की सहायता के लिए भीतरी इलाकों से अनेक कार्यकर्ता भेजे ।
कुछ भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत भी बहुभाषी व बहुजातीय देश है । विभिन्न जातीयों के बीच संबंधों का निपटारा करना हमेशा चिंताजनक सवाल ही रहता है । विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार को चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा के माध्यम से चीन की अल्पसंख्यक जातीय नीतियों से कुछ सीख लेना चाहिये । क्योंकि जातीय एकता होना देश के विकास की नींव ही है ।
( हूमिन )