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    गरीबी उन्मूलन, भ्रष्टाचार विरोध और पर्यावरण संरक्षण पर फोकस - चीन की एनपीसी
    2017-03-13 16:57:38 cri

    हर वर्ष मार्च में चीन में सीपीपीसीसी और एनपीसी की बैठक आयोजित होती है जिसमें चीन के विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करने के बाद उसपर फैसले लिये जाते हैं, इस वर्ष भी 12वीं एनपीसी की बैठक चल रही है।

    इस बार की बैठक में गरीबी उन्मूलन, बेल्ट और रोड, आधारभूत संरचनाओं के विकास, भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने, व्यापार संवर्धन और पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर दिया गया।

    गरीबी उन्मूलन

    गरीबी उन्मूलन के लिए एक लंबे समय से सुनियोजित तरीके से अभियान चलाया जा रहा है और इसमें चीन सरकार को अभूतपूर्व सफलता भी मिल रही है, खासकर तिब्बत, कान सू समेत मध्य चीन और सीमांत प्रदेशों में भी ग्रामीणों, पशु पालकों और मज़दूरों को इसका बहुत लाभ मिला है, सरकार ने भेड़ पालन, पशु और मुर्गी पालन के साथ साथ कृषि में निर्धन लोगों की सहातया की है, उन्हें कच्चे घरों की जगह पक्के घर बनाकर दिये जिससे उनके रहने की स्थिति में सकारात्मक बदलाव हुआ है। पशु पालन से किसानों और निर्धन लोगों की आय के साधन में बहुत सुधार हुआ है, गांवों में सरकार ने बेहतर चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था की है जिससे ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोग अब सुखमय जीवन बिता रहे हैं।

    अर्थतंत्र

    जहां तक सकल घरेलू उत्पाद की बात है तो वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए उसका कुछ असर चीन की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है लेकिन चीन की आर्थिक गति पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही चल रही है इस वर्ष जीडीपी की वृद्धि दर 6.7 फीसदी पर रही।

    सकल घरेलू उत्पाद में स्थायित्व के कारण चीन की अर्थव्यवस्था मज़बूत बनी हुई है, इसके पीछे, बड़े उद्योगों के साथ ही छोटे और मंझोले उद्योगों को सरकार का प्राश्रय मिलना भी एक बड़ा कारण रहा है। चीन सरकार ने उद्योग धंधों की बेहतरी के लिये एक मज़बूत औद्योगिक आधारभूत संरचना का निर्माण किया है साथ ही कम लागत में बने उच्च गुणवत्ता के उत्पादों के निर्यात के लिये सुगम नीति बनाई जिसकी वजह से चीन में बने गुणवत्ता वाले उत्पाद वैश्विक पटल पर अपनी पहचान बनाने में सफल रहे हैं और इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था के विकास पर पड़ा है। जिस रफ्तार से चीन की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है उससे लगता है कि अगले वर्ष भी चीन अपने आर्थिक लक्ष्य को पाने में सफल रहेगा।

    वैश्विक स्तर की व्यापारिक परियोजना

    समुद्री रेशम मार्ग और बेल्ट और रोड योजना एक बहुत ही महत्वकांक्षी योजना है जो चीन के तैयार उत्पादों को समुद्र और सड़क के ज़रिये मध्य एशिया से सुदूर दक्षिण एशिया, खाड़ी के देशों, उत्तरी और पूर्वी अफ्रीका के साथ साथ यूरोप के सुदूर उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में कम समय में पहुंचाया जा सकेगा। पाकिस्तान में सीपेक योजना के लागू होने के बाद चीन का जो सामान खाड़ी के देशों में जल मार्ग से तीन सप्ताह में पहुंचा करता था वो अब मात्र 36 घंटों में ही पहुंच जाया करेगा, इसमें समय और ईंधन दोनों की भारी बचत होगी और इसका असर तैयार माल की कीमत पर भी पड़ेगा, ये तैयार माल बाज़ार में पहले की तुलना में कम दामों में लोगों तक पहुंचेगा। इस योजना से स्थानीय व्यापारियों को भी लाभ मिलेगा, जिसका सीधा असर उन देशों की बेहतर होती अर्थवस्था के रूप में दिखाई पड़ेगा।

    सुरक्षा और सांस्कृतिक एकता

    सांस्कृतिक एकता के बारे में राष्ट्राध्यक्ष शी चिनफिंग ने ये बात स्पष्ट कर दी है कि आप भले ही किसी भी जाति या धर्म से संबंध रखते हों आपका संबंध चीन की मिट्टी से है और यही हमारी संस्कृति है। हम चाहे कितनी भी विविधता अपने अंदर समेटे हों, हमारी एकता का सार चीन है और चीन की तरक्की ही हमारी और आप सभी की तरक्की है। हम भले ही अलग भाषा बोलने वाले हों, हमारे परिधान चाहे कितने भी अलग क्यों न हों, हम चाहे अलग अलग खान-पान वाले लोग हों लेकिन हमें आपस में जोड़ के रखने वाला ये देश चीन है। हम यहां की मिट्टी में पैदा हुए हैं, यहीं हमें रहना है तो क्यों न हम आपस में मिलजुल कर साथ में सद्भावना के साथ रहें, क्यों न हम आपसी मेल-जोल के साथ रहें और एक बेहतर चीन के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएं।

    पारिस्थितिकी संरक्षण

    वैश्विक स्तर पर आजकल पर्यावरण और पारिस्थितिकी का मुद्दा गर्माया हुआ है, धरती का तापमान लगातार बढ़ रहा है जिसके कारण बर्फ़ पिघल रही है, समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है जिसके कारण कई द्वीपीय देशों का अस्तित्व खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा है, ऐसे में विश्व स्तर पर कई बैठकों के बाद कई विकसित और विकासशील देश इस मुद्दे पर अपनी गंभीरता दिखा रहे हैं। चीन ने भी पर्यावरण के मुद्दे पर अपनी गंभीरता दिखाते हुए बहुत सारे कदम उठाए हैं चाहे वो रेतीली भूमि को हरित बनाने वाले कदम हों, या दलदली भूमि की रक्षा के, या फिर वायु प्रदूषण को कम करने के लिये विभिन्न शहरों में बैटरी वाले वाहन, बैटरी वाले दुपहिया वाहन हों या फिर नए सिरे से शहरों में साइकिलों से यात्रा करने की शुरुआत हो, जिससे जैविक ईंधन पर ज़ोर कम पड़े और पर्यावरण प्रदूषण कम किया जा सके।

    इसके साथ ही चीन के कुछ क्षेत्रों में बड़े बड़े सौर ऊर्जा के संयंत्रों की स्थापना की बात हो, इन सभी में चीन ने अपनी सक्रीय भूमिका निभाई है, जिससे शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है।

    कुल मिलाकर कहा जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर हर वर्ष होने वाली वार्षिक बैठक में राष्ट्र के हर पहलुओं पर गंभीरता के साथ हर विषय पर विस्तार से चर्चा की जाती है जिसके बाद उसपर निर्णय लिये जाते हैं। इसके साथ ही चीन के पड़ोसियों और विश्व के दूसरे देशों के साथ संबंधों पर भी बहुत ध्यान दिया जाता है, जिससे चीन की प्रगति के साथ ही विश्व के बाकी देशों को भी लाभ मिले।

    पंकज श्रीवास्तव

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