पिछले साल चीन में दूसरे बच्चे का अधिकार तो मिल गया मगर अभी उसके लिए सुविधाएं मिलनी बाकी हैं। एनपीसी में दूसरे बच्चे के लिए सब्सिडी सहित अन्य सुविधाओं के संबंध में प्रस्ताव आया था। लोग भविष्य के लिए इसे सकारात्मक रूप से देख रहे हैं।
चीन कृषि में भी आपूर्ति क्षेत्र में सुधार में लाने के लिए कदम उठाएगा। इसके तहत बाजार की जरूरत का पता लगाने, आपूर्ति और मांग के संतुलन में सुधार लाने के लिए काम किया जाएगा। ड्रैगन का मानना है कि इससे कृषि उद्योग की गुणवत्ता में सुधार आएगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी। चीन दुनिया का सबसे अधिक स्टील और कोयला उत्पादक और उपभोग करने वाला देश है। मगर इस साल चीन ने स्टील में 5 करोड़ टन और कोयले में भी 15 करोड़ टन से अधिक उत्पादन घटाने का लक्ष्य रखा है। इसके पीछे प्रदूषण पर नियंत्रण के अलावा अधिक उत्पादन पर अंकुश लगाना है। रक्षा बजट की बात करें तो चीन ने पिछले साल की तरह इस साल भी रक्षा बजट में खास बढ़ोतरी नहीं की है। यह 2017 में 10. 44 खरब युआन से अधिक रहेगा, जो पिछले साल की तुलना में 7 प्रतिशत ज्यादा है। 2016 में चीन ने इसमें 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। पिछले सात साल में चीन ने इन दो वर्षों में रक्षा बजट सबसे कम बढ़ाया है।
एक पट्टी-एक मार्ग योजना पर भी चीन का विशेष फोकस है। इस मार्ग के देशों के साथ व्यापारिक सहभागिता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले तीन सालों में एक पट्टी एक मार्ग से जुड़े देशों में चीन का पूंजी निवेश 50 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा है। चीन को भविष्य में इसके बेहतर परिणाम की उम्मीद है। वह मई महीने में बीजिंग में एक पट्टी एक मार्ग को लेकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शिखर मंच का आयोजन भी कर रहा है। चीन ने अमेरिका के साथ भी संबंध आगे बढ़ाने का संकेत दिया है। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना भी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के प्रमुख एजेंडे में रहा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 18 वीं राष्ट्रीय कांग्रेस के बाद प्रांत से ऊपर वाले 120 से अधिक अधिकारियों को सजा दी गयी थी। इस बार के सम्मेलन में भी चीन ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का संकल्प दोहराया है।
चीन के नये साल के शुरुआत और स्प्रिंग फेस्टिवल के बाद यह दोनों सम्मेलन वर्ष में एक बार होते हैं। दस दिन तक चलने वाली चीन की इस संसद पर पूरी दुनिया की नजर है तो देश के लोगों में भी नई नीतियों को लेकर उत्सुकता है। इन सम्मेलनों में ही पिछली नीतियों की समीक्षा और भावी योजनाएं तय की जाती हैं। इन दोनों संस्थाओं में एनपीसी को ज्यादा अधिकार प्राप्त हैं। भारतीय व्यवस्था के नजरिए से एनपीसी को लोकसभा और सीपीपीसीसी को राज्य सभा की तरह देख सकते हैं। एनपीसी में लगभग तीन हजार सदस्य हैं जो पांच साल के लिए चुने जाते हैं। सैद्धांतिक रूप से यह सत्ता की सर्वोच्च संस्था है। इसमें राज्यों, नगरपालिकाओं और सेना से प्रतिनिधि शामिल होते हैं। यह सरकार और अपनी योजनाओं की समीक्षा करती है। हालांकि एनपीसी की एक स्टैंडिंग कमेटी भी होती है, इसमें 150 के आसपास सदस्य होते हैं जो कानून बनाने और कानून में सुधार के लिए सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। अन्य सदस्य एनपीसी की सालाना बैठक में सक्रिय रहते हैं।
चीन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ही मुख्य राजनीतिक दल है। इसके अलावा नौ अन्य पार्टियां भी हैं। इन पार्टियों और समाज के विभिन्न वर्गों के सदस्य सीपीपीसीसी में शामिल होते हैं। इसके प्रतिनिधियों की संख्या 2127 है। सीपीपीसीसी नीतियां बनाने वाली संस्था नहीं है। यह राजनीतिक सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के बाद प्रस्ताव तैयार करती है। सीपीपीसीसी 13 मार्च को जबकि एनपीसी 15 मार्च को खत्म हो रही है । इस साल की संसद इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, यह 12 वीं सीपीपीसीसी और 12 वीं एनपीसी का पांचवां सत्र है। जबकि राष्ट्रपति शी चिनफिंग के इस कार्यकाल का यह आखिरी सत्र है।
अगले साल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 19 वीं कांग्रेस होनी है। इसमें नए राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव होगा। हालांकि शी चिनफिंग का दोबारा राष्ट्रपति चुना जाना तय है क्योकि चीन में राष्ट्रपति को दूसरा कार्यकाल भी मिलता है। शी राष्ट्रपति के साथ ही कम्युनिस्ट पार्टी के सेक्रेटी और पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के भी प्रमुख हैं। चेयरमैन माओ के बाद शी चिनफिंग को सबसे पावरफुल नेता माना जाता है।
दूसरे देशों के आलोचक सीपीपीसीसी और एनपीसी को रबर स्टैंप कहने से गुरेज नहीं करते हैं असल में सीपीसी के पास ही सारी शक्तियां हैं। उसके निर्णय ही अमल में लाए जाते हैं। हमारे देश की तरह चीन की संसद में शोरशराबा या फिर हंगामा नहीं होता है। चारहार इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो वांग वी कहते हैं कि चीन में हर सभ्यता और संस्कृति को आत्मसात करने की परंपरा रही है। चीन ने बौध धर्म को भारत से अपनाया तो मार्क्सवाद को जर्मनी और यूरोप से। इन दर्शनों को चीन ने अपने अनुरूप ढाल लिया। यही वजह है कि चीन में समाजवाद जिंदा है। पश्चिमी देशों से ज्यादा चीनी विशेषता वाले लोकतंत्र का मॉडल सफल रहा है।
जय प्रकाश पांडे