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    महिलाओं को आर्थिक अधिकार देने पर जोर- संयुक्त राष्ट्र
    2017-03-10 13:05:16 cri

    8 मार्च साल 2017 अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यालय की कार्यकारी प्रमुख फुम्ज़िले म्लाम्बो-न्ग्कुका ने क्रमशः बयान जारी कर महिला-पुरुष समानता, खासकर महिलाओं को आर्थिक अधिकार देने पर जोर दिया।

    इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के आगमन पर यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में विश्व के विभिन्न स्थलों से आयी विभिन्न जातियों की महिला प्रतिनिधियों के साथ बधाई संदेश रिकॉर्ड किया। उन्होंने बल देते हुए कहा कि महिला अधिकार मानवाधिकार का एक हिस्सा है। इसके साथ ही उन्होंने वचन देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और हितों की गारंटी के लिए प्रयासरत रहेगा।

    गुटेरेस ने कहा कि महिलाओं के अधिकार मानवाधिकार ही हैं। लेकिन विश्व के विभिन्न स्थलों में लोग आम तौर पर इस पर कम ध्यान देते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के रूप में वे महिलाओं के नेतृत्वकारी भूमिका निभाने और वास्तिवक लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने में पूरी तरह प्रयास करते रहेंगे। लेकिन आजकल दुनिया की स्थिति डांवाडोल है। लाखों महिलाएं और लड़कियां संकट के पहले मोर्चे पर खड़ी हुई हैं। अगर महिलाएं और लड़कियां भागीदार न बनीं, तो किसी भी लक्ष्य को बखूबी अंजाम देना असंभव होगा, जिनमें जलवायु परिवर्तन का मुकाबला, अनवरत विकास का संवर्द्धन करना और मुठभेड़ की रोकथाम और इसका समाधान आदि शामिल हैं। गुटेरेस ने वचन देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ हमेशा पूरी दुनिया के विभिन्न स्थलों पर महिलाओं और बच्चों के लिए कार्यरत रहेगा। उन्होंने सभी लोगों से इस कार्रवाई में भाग लेने की अपील की।

    इस वर्ष 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम थी"लगातार परिवर्तित कार्य दुनिया में महिलाएं: साल 2030 तक विश्व व्यापी लैंगिक समानता की प्राप्ति", जिसमें महिलाओं को आर्थिक अधिकार देने के महत्व पर जोर दिया गया।

    वहीं संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यालय ने कहा कि वर्तमान दुनिया में भूमंडलीकरण का विकास और तकनीकी प्रगति ने कुछ महिलाओं के लिए विकास की और बड़ी गुंजाइश प्रदान की है। लेकिन दूसरी तरफ़ तमाम महिलाएं सामाजिक रक्षा के अभाव, कम आय, यहां तक कि आय न होने जैसे आर्थिक माहौल में हैं। महिला कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की श्रम शक्ति में कामकाजी महिलाओं की दर 50 प्रतिशत से कम है। उनकी समान आयु वाले पुरुष श्रम शक्ति की दर 76 फीसदी रही। विश्व के विभिन्न स्थलों में कई महिलाएं और लड़कियां पारिवारिक गैर भुगतान वाला श्रम करती हैं। जबकि कुछ महिलाएं कम आय और कम उत्पादन दर वाला कार्य करती हैं। उनके साथ किसी हद तक भेदभाव किया जाता है। मसलन् उन्हें पुरुष श्रमिकों की तुलना में समान वेतन नहीं मिलता, गर्भावस्था के दौरान छुट्टियां नहीं मिलती हैं और निर्णय लेने का अधिकार नहीं होता।

    साल 2017 में 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यालय की कार्यकारी प्रमुख फुम्ज़िले म्लाम्बो-न्ग्कुका ने बयान देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से साल 2030 तक विश्व व्यापी लैंगिक समानता हासिल करने के लिए परिवर्तन करने की अपील की। उन्होंने अपने बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को महिलाओं के लिए एक अलग कार्य वातावरण मुहैया करवाना चाहिए। लड़कियों को शिक्षा के समान अधिकार दिया जाए, लड़कियों को अधिक रोज़गार की जानकारी लेने, पारंपरिक सेवा और देखभाल व्यवसाय को छोड़कर उद्योग, कला, सार्वजनिक सेवा, आधुनिक कृषि और विज्ञान आदि क्षेत्रों में प्रवेश करने की सहायता दी जाए। न्ग्कुका ने कहा:

    "इस प्रकार के क्रांतिकारी कदम को आगे बढ़ाने के लिए हमें पक्षपात छोड़ना होगा। ताकि महिलाएं कार्य करने के दौरान अधिक मौके, अधिकार और हित प्राप्त कर सकें। मिसाल के लिए हमें महिलाओं और पुरुषों के बीच समान वेतन वाले कदम को आगे बढ़ाना चाहिए। वर्तमान में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के वेतन में लैंगिक असमानता का अनुपात 23 प्रतिशत है। इसके साथ ही महिलाओं के खिलाफ़ पारंपरिक पक्षपात को तोड़ना अनवरत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लाभदायक होगा। कामकाजी दुनिया में महिलाओं के स्थान को बदलने के लिए यह जरूरी है कि महिलाओं को स्वतंत्र आर्थिक समुदाय बनने की गारंटी दी जानी चाहिए।"

    लैंगिक समानता को"साल 2030 अनवरत विकास कार्यक्रम"का पांचवां लक्ष्य बनाया गया है, जिसका उद्देश्य सारी दुनिया में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, संमानित कार्य और राजनीतिक व आर्थिक निर्णय में भागीदारी जैसे अधिकार को देना है। यह सभी 17 अनवरत विकास उद्देश्यों को बखूबी अंजाम देने के लिए बहुत सार्थक है।

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