उभरती अर्थव्यवस्थाओं की वित्त पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुपक्षीय ऋणदाताओं ने पिछले साल डेढ़ बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण की मंजूरी दी, विशेषकर ब्रिक्स देशों (ब्राजिल, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका) में स्वच्छ ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के विकास के वित्तपोषण के लिए।
विश्व अर्थव्यवस्था में ब्रिक्स की हिस्सेदारी 2002 में 8.2 प्रतिशत से बढ़कर 2015 में 22.2 प्रतिशत तक हो गई है। ब्रिक्स अब विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था का दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करता है।
एनडीबी के उपाध्यक्ष चू शियन ने कहा कि बैंक का उद्देश्य वित्तपोषण, क्षमता निर्माण, और ज्ञान बांटने के माध्यम से विकासशील देशों में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देना है।
उन्होंने कहा कि इस तरह के ऋण देने की प्राथमिकता बैंक को पारंपरिक बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्थापित रास्तों से एकदम अलग नये रास्ते पर चलने के लिए कायम करेगी।
(अखिल पाराशर)