हाल ही में चीनी कंपनी टेन्सेंट (tencent) ने भारतीय मोबाइल हेल्थ केयर उपक्रम प्रैक्टो को 5 करोड़ 50 लाख अमेरिकी डॉलर का निवेश दिया। यह भारत के प्रति चीन के पूंजी-निवेश में ताजा प्रगति है। पिछले दो वर्षों में भारत के प्रति चीन के पूंजी-निवेश में बड़ा इजाफा हुआ है, चाहे निवेश कंपनियों की संख्या की बात हो या फिर निवेश का मूल्य।
वर्तमान में बिजली, इस्पात, ऊर्जा आदि विनिर्माण और बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्रों में भारत के प्रति चीन के पूंजी-निवेश का स्थिर रुझान नज़र आता है। वर्ष 2016 के आरंभ में चीनी ताल्यान वान्ता कंपनी ने उत्तर भारत के हरियाणा में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने की घोषणा की, इसमें 10 अरब डॉलर खर्च होने का अनुमान है। चीनी निर्माण मशीनरी निर्माता सानयी ग्रुप ने आगामी दस वर्षों में भारत में 1 अरब डॉलर का पूंजी-निवेश लगाने की घोषणा की है। गुजरात के बड़ौदा शहर में चीनी औद्योगिक पार्क का मुख्य कार्य बिजली का उत्पादन होगा, जिसकी स्थापना टबी (TBEA) कंपनी करेगी और इसमें 1 अरब डॉलर के पूंजी-निवेश का अनुमान है।
चीन और भारत के सहयोग का बाहरी वातावरण अच्छा है। भारत चीनी कंपनी के निवेश का स्वागत करता है। चीन सरकार भारत में पूंजी-निवेश करने में चीनी कंपनियों का समर्थन करती है। बड़ी परियोजनाओं में सहयोग करने से चीनी कंपनियों को पूंजी-निवेश की बड़ी संभावनाएं बनी हुई हैं।
(मीनू)