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पेइचिंग स्थित भारतीय दूतावास में 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया। इस मौके पर सीआरआई संवाददाता अनिल पांडेय ने राजदूत विजय गोखले के साथ बातचीत की। साक्षात्कार में गोखले ने ज़ोर देते हुए कहा कि भारतीय लोगों को आपस में जोड़ना, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना दूतावास और भारत सरकार की प्राथिकता है।
बकौल गोखले, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रवासी भारतीय दिवस पर कहा कि सरकार प्रवासी लोगों के हितों के बारे में व्यापक रूप से सोचती है। इसके साथ ही प्रवासियों की सुरक्षा सरकार के प्रमुख एजेंडे में शामिल है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय द्वारा इस दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं।
राजदूत ने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस ऐसा दिन होता है, जब भारत सरकार, दूतावास और अन्य संबंधित विभाग विदेश में बसे भारतीय मूल के लोगों और गैर प्रवासीय भारतीयों का सम्मान करते हैं। क्योंकि भारत के विकास के साथ-साथ परंपरा और संस्कृति आदि के प्रचार-प्रसार में उनका भी अहम योगदान है।
राजूदत ने इस मौके पर वह अपील की कि आने वाले दिनों में भी प्रवासीय भारतीय लोगों का उन्हें सहयोग मिलता रहे। जहां भी वे बसे हुए हैं, वहां की स्थानीय सरकारों और समाज में भारत का एक संदेश भी लेकर जाएं।
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इस बार का प्रवासी दिवस पूर्व की तुलना में किस तरह से अलग है, इसके जवाब में गोखले ने कहा कि, हर बार इस महत्वपूर्ण दिन पर कुछ न कुछ नयी पहल की जाती है, कुछ कदमों को आगे बढ़ाया जाता है। मसलन, दूतावास और सरकार की ओर से प्रवासी लोगों को सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जैसे कि पासपोर्ट और वीजा नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं।
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने प्रवासी भारतीय लोगों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की बात कही। चाहे वह यमन और अन्य देशों में भारतीय लोगों के सामने आई मुश्किलों हों या फिर व्यक्तिगत परेशानी। इसके साथ ही विदेशों में काम कर रहे श्रमिकों और अन्य लोगों की मदद करने और समस्याओं का हल निकालने की दिशा में सरकार ध्यान दे रही है।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम चीन में रह रहे सभी छात्रों को आपस में जोड़ना चाहते हैं। विश्वविद्लाययों में अध्ययन कर रहे सभी भारतीय छात्रों को सोशल मीडिया के जरिए जोड़ने का काम हो रहा है। ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें मदद दी जा सकी। और हां, अगर सरकार की ओर से उन्हें जो सहयोग मिल रहा है, उसे अन्य लोगों को भी बताएं। हमारे पास जब भी उनकी समस्याएं पहुंचती हैं, हम उनके विश्वविद्यालयों में संपर्क कर उनका समाधान करवाने की कोशिश करते हैं।
अनिल आज़ाद पांडेय