अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा चीनी वस्तुओं के निर्यात में एंटी डंपिंग कार्रवाई करते हुए "सरोगेट" देश संबंधी नीति लागू जारी रखने के खिलाफ़ चीन ने विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में मामला उठाया है। चीनी वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को उक्त देशों के रवैये पर नाराजगी जाहिर की।
वाणिज्य मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी वक्तव्य में कहा गया है कि चीन के 2001 में डब्लूटीओ में शामिल होते समय, प्रविष्टि प्रोटोकॉल की धारा 15 पर हस्ताक्षर किए गए थे। जिसके तहत चीन पर "सरोगेट" देश संबंधी नीति लागू की गयी थी, जिसकी सीमा 11 दिसंबर 2016 को समाप्त हो चुकी है। लेकिन डब्लूटीओ ने अब भी उसे खत्म नहीं किया है।
वक्तव्य के अनुसार डब्लूटीओ के सदस्यों को चीन के खिलाफ़ निर्यात में एंटी डंपिंग कदम उठाते समय सरोगेट देश में जांच करने की नीति बंद करनी चाहिए।
वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, दुर्भाग्य से अमेरिका और यूरोपीय संघ अपना वचन नहीं निभा रहे हैं।
ध्यान रहे कि सरोगेट देश संबंधी नीति के अंतर्गत, डब्लूटीओ सदस्य उत्पादित वस्तुओं की कीमत की गणना किसी अन्य देश में करते हैं, जिसमें 'गैर-बाज़ार अर्थव्यवस्था' सूची वाले देश(चीन सहित) शामिल होते हैं। इसका चीन को नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि उक्त नीति के तहत व्यापारिक विवाद की स्थिति में उच्च शुल्क लगाया जाता है।
चीन का आरोप है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ की सरोगट देश नीति के चलते चीन की कई कंपनियों के निर्यात और विस्तार पर गंभीर असर पड़ा है।
(अनिल पांडेय)