जैसा कि हम अक्सर रेगिस्तानों में देखते हैं तेज़ हवा के झोंकों के साथ उड़ती रेत के बीच जब हवा रेत के टीलों के बीच से होकर गुज़रती है तो ये रेतीले इलाके में अपनी ध्वनि से संगीत पैदा करती हैं, और दूर बैठा कोई भी व्यक्ति ये समझ सकता है कि दूर रेत के टीलों के बीच कोई मधुर गीत गा रहा है। कई बार ये आवाज़ इतनी तेज़ होती है जैसे शेर की दहाड़।
चीनी भाषा में रेत के टीलों को मिंगशा शान कहते हैं, मिंग का मतलब होता है गाते हुए शा का मतलब रेत है और शान का मतलब पहाड़ है यानी संगीतमय रेत के पहाड़। रेत के टीलों में तेज़ हवा के टकराने से जो आवाज़ पैदा होती है वो 105 डेसिबल तक तेज़ होती है। जो हमारे कानों के लिये खतरनाक हैं, इंसानों के कान सिर्फ़ 45 डेसिबल तक की आवाज़ को सहन कर सकते हैं।
चीन में ढेर सारे पर्यटक रेगिस्तानी जीवन का आनंद उठाने के लिये यहां पर आते हैं, रेत पर चलते हुए उन्हें बहुत अच्छा अनुभव होता है, पर्यटक मिंगशा शान आकर दो कुब्बड़ों वाले ऊंटों की सवारी का आनंद उठाते हैं, तो कुछ पर्यटक ऊंचे टीलों पर जाकर वहां से रेत पर तेज़ी से फिसलते हुए नीचे आते हैं जिसमें उन्हें बहुत मज़ा आता है। वहीं कुछ धनी पर्यटक यहां पर हेलिकॉप्टर और हैंग ग्लाइडर से रेत के पहाड़ों को ऊपर से देखने का लुत्फ़ उठाते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों में कुछ विदेशी भी होते हैं, लेकिन अधिकतक पर्यटक चीन के दूसरे क्षेत्रों से आते हैं। गर्मियों के मौसम में यहां ज्यादा पर्यटक आते हैं। मिंगशा शान की यात्रा करने के लिये सबसे मुफ़ीद मौसम अप्रैल से सितंबर तक का है, उसके बाद यहां पर तापमान गिरने लगता है। स्थानीय प्रशासन ने इस क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिये कई कदम उठाए हैं, सफ़ाई और स्वच्छता के लिये स्टाफ की नियुक्ति की गई है, वृद्ध पर्यटकों के लिये वाहनों की व्यवस्था भी की गई है जिससे वो बिना अधिक चले रेगिस्तान की सैर कर सकें। कुल मिलाकर कहा जाए तो तुनह्वांग की यात्रा हम सभी को अपने जीवन में एक बार ज़रूर करना चाहिए और इस अद्भुत अनुभव का आनंद उठाना चाहिए।
पंकज श्रीवास्तव