श्री शी चिनफिंग ने कहा कि आर्थिक भूमंडलीकरण में उतार-चढ़ाव होता रहा है, संरक्षणवाद का रूझान दिखाई दे रहा है और बहुपक्षीय व्यापार-प्रणाली को धक्का लगा है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए जी-20 देशों को और अधिक खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिए प्रयास करना चाहिए।
शी चिनफिंग के इस कथन का मजबूत आधार है। वर्तमान जी-20 सम्मेलन के आयोजन से पहले तक लम्बे समय में भूमंडलीकरण का अंत करने की लहर पूरी दुनिया में दौड़ती रही। उदाहरणार्थ ब्रिटेन ने जनमत संग्रह के जरिए यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला किया, यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच ट्रान्साटलांटिक व्यापार और निवेश साझेदारी समझौते पर वार्ता ठप्प सी पड़ गई, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति-पद के दोनों उम्मीदवारों ने भी खुले तौर पर इस समझौते का विरोध किया।
एक तरफ भूमंडलीकरण को आगे बढाने का मिशन चीन के हाथों में सौंपा गया है। इधर के वर्षों में चीन ने एक बेल्ट एक रूड वाली पहल की है और चीन-आसियान मुक्त व्यापार-क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। कहा जा सकता है कि चीन आर्थिक भूमंडलीकरण का प्रमुख प्रणोदक बन गया है। अगर अमेरिका ने
ट्रान्साटलांटिक व्यापार और निवेश साझेदारी समझौते से इन्कार किया, तो चीन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त व्यापार-क्षेत्र बनने की पहल करेगा।
दूसरी ओर भूमंडलीकरण का नेतृत्व करना एक आसान मिशन नहीं है। आज पूरे यूरोप को आर्थिक परेशानियां सता रही हैं और अमेरिका व्यापारिक विवाद खड़ा करने में जुटा रहा है। पूर्वानुमान लग सकता है कि भूमंडलीकरण को आने वाली एक अवधि में और भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। ऐसी पृष्ठभूमि में जी-20 के अध्यक्ष के नाते चीन का मुख्य कार्य भूमंडलीकरण के आगे बढ़ने की गारंटी करना है। इसके लिए चीन सरकार
कोशिश कर रही है कि इस साल के अंत से पहले विश्व व्यापार संगठन के व्यापार की आसानी पर करार का अनुमोदन हो जाए। इस करार के प्रभावी होने से व्यापार में लागत 15 प्रतिशत कम होगी और वैश्विक व्यापार में 10 खरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि होगी।
वर्तमान हांगजो शिखर सम्मेलन में चीन ने विभिन्न देशों से निवेश के बारे में अपने-अपने सिद्धांतों को एकीकृत करने की आशा की है। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि चीन आर्थिक क्षेत्र में विदेशी पूंजी को अपने घरेलू पूंजी के बराबर हक देगा। कुछ समय पहले चीनी सत्ता की सर्वोच्च संस्था---राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि-सभा ने घोषणा की थी कि आने वाले अक्तूबर से चीन में विदेशी पूंजी के निवेश के लिए प्रक्रिया सरल शुरू होगी। चीन पूरी दुनिया को बताना चाहता है कि वह आर्थिक भूमंडलीकरण में बड़ा योगदान करने का इच्छुक है।
उल्लेखनीय है कि वैश्विक जीडीपी में चीन का योगदान 16.5 प्रतिशत है। ऐसे में चीन को स्वाभाविक रूप से भावी वैश्विक विकास के कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन का प्रभाव बढता जा रहा है। गत अगस्त में जारी एक रैंकिंग में चीन अमेरिका के बाद दूसरा बड़ा प्रभावशाली देश चुना गया। चीनी आर्थिक विकास के लिए आर्थिक भूमंडलीकरण को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी है। उधर पश्चिम में 'विश्व चीन के बिना चल सकता है, जबकि चीन विश्व के बिना नहीं चल सकता' का सिद्धांत कब से ही हास्यास्पद हो चुका है। जी-20 सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शी चिनफिंग ने अपने भाषण में मजबूती से कहा कि आर्थिक भूमंडलीकरण के दौरान कोई भी देश एकतरफ़ा तौर पर खुद को परिपूर्ण नहीं बना सकता। समंवय और सहयोग हमारा अनिवार्य विकल्प है।