अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन यानी आईएलओ ने 24 अगस्त को जिनेवा में"2016 विश्व रोज़गार और आउटलुक" रिपोर्ट जारी की, जिसमें अनुमान लगाया गया कि वर्ष 2016 में विश्व भर में युवाओं की बेरोज़गारी दर 13.1 प्रतिशत तक जा पहुंचेगी, यह रूझान 2017 तक जारी रहेगा। इसके साथ ही रिपोर्ट में युवाओं के"रोज़गार की वजह से गरीबी"स्थिति पर खासा ध्यान केंद्रित हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस वर्ष बेरोज़गार युवाओं की संख्या 5 लाख बढ़कर 7 करोड़ 10 लाख तक पहुंच गई। विश्व भर में बेरोज़गारों की कुल संख्या में युवा बेरोज़गारों की संख्या 35 प्रतिशत बन गई। वर्ष 2017 में विश्व में रोज़गार की स्थिति फिर भी गंभीर रहेगी। बेरोज़गारी दर लगातार बढ़ने की संभवना होगी, नवोदित देशों में स्थिति उल्लेखनीय होगी।
आईएलओ के वरिष्ठ अर्थशास्त्री, इस रिपोर्ट के प्रमुख लेखक स्टिवन टोबिन के मुताबिक नवोदित आर्थिक समुदायों में युवाओं की बेरोज़गार दर वर्ष 2015 के 13.3 प्रतिशत से 2016 के 13.6 प्रतिशत तक उन्नत होगी। अनुमान है कि वर्ष 2017 में यह दर लगातार 13.7 प्रतिशत तक बढ़ेगी। मतलब है कि 5 करोड़ 35 लाख युवा लोग बेरोज़गार होंगे।
इस रिपोर्ट में खास तौर पर"रोज़गार की वजह से गरीबी"यानी "कार्य गरीबी"वाली स्थिति पर ध्यान दिया गया। मतलब है कि लोग के पास स्थाई रोज़गार है और वह प्रयास से काम भी करता है, लेकिन उसका वेतन जीवन की जरूरत मांग को पूरा नहीं कर सकता। आईएलओ के मापदंड के अनुसार, औसत व्यक्ति की रोज़ाना आय 1.9 डॉलर से कम होने वाला व्यक्ति अति गरीब स्थिति में है, जबकि 1.9 से 3.1 डॉलर तक मध्य स्तरीय गरीब स्थिति में।
रिपोर्ट से पता चला है कि सहारा के दक्षिण में अफ्रीकी क्षेत्र में"कार्य गरीब"की स्थिति सबसे गंभीर है, करीब 70 प्रतिशत तक पहुंच गई। जबकि दक्षिण एशिया में 49 प्रतिशत और अरबी देशों में 39 प्रतिशत।
ध्यान देने वाली बात यह है कि कई देशों में रोज़गार बाजार में महिलाओं और पुरुषों का फ़र्क बड़ा रहा। दक्षिण एशिया, अरब देशों और उत्तर अफ्रीका में युवा महिलाओं की रोज़गार दर बहुत कम है।
(श्याओ थांग)