13वीं सदी में जब मार्को पोलो हांगचो आया, तो यहां की सुंदरता देखकर उसने इसे "दुनिया का सबसे सुंदर और हसीन शहर" घोषित किया। एक लोकप्रिय चीनी कहावत के मुताबिक- "ऊपर स्वर्ग है और नीचे हांगचो है"।
दक्षिण-पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत की राजधानी हांगचो की इस स्वर्ग-सी खूबसूरती का पूरा श्रेय सपनों से भी ज्यादा सुंदर शीहू झील को जाता है। शीहू झील की सुंदरता का लुत्फ उठाने लाखों सैलानी हर साल यहां आते हैं। यहां की शांत झीलें, सुंदर बगीचे, पूल, भव्य मंदिर और झील के किनारे बने चायखाने आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं।
शीहू झील जिसे वेस्ट लेक भी कहा जाता है, के पास कई मशहूर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल हैं जैसे- लिंगयिन मंदिर और छह नाटिका शिवालय। हांगचो के आसपास के प्राचीन कस्बे- शीथान और वूचन की सुंदरता भी देखने लायक है।
हांगचो के सबसे प्रसिद्ध उत्पादों में रेशम और चाय शुमार हैं। इसलिए चीन का राष्ट्रीय रेशम म्यूजियम और राष्ट्रीय चाय म्यूजियम हांगचो में स्थित है। वेस्ट लेक के किनारे सटी पहाड़ियों पर सैलानी चाय बागानी के बारे में जान सकते हैं और उनके लिए खास परंपरागत चाय समारोहों का आयोजन भी किया जाता है।
चीन के 6 प्राचीन राजधानी प्रमुख शहरों में से एक हांगचो का इतिहास 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है। यह ना सिर्फ अपनी मनमोहक सुंदरता के लिए मशहूर है बल्कि यह पारंपरिक संस्कृति का आकर्षण केंद्र भी है।
कई राजवंशों के कवियों और लेखकों द्वारा लिखी गई कविताओं और शिलालेखों के अलावा, यहां का स्वादिष्ट भोजन और बारीक हस्तशिल्प, इसे धरती पर स्वर्ग कहलाने का गौरव प्रदान करता है।
(अखिल पाराशर)
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