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    हार कर भी दिल जीता सिंधू ने
    2016-08-20 19:02:36 cri

    बैडमिंटन की नई सनसनी बनकर उभरी पीवी. सिंधू से पूरे देश को ओलंपिक में गोल्ड की उम्मीद थी। और करोड़ों भारतीयों की नज़र भी रियो के बैडमिंटन एरिना पर टिकी थी। लेकिन गोल्ड जीतने का भारत का सपना सिंधू की हार के साथ टूट गया। बावजूद इसके यह ओलंपिक में किसी भी भारतीय महिला का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

    21 साल की युवा सिंधू ने पूरे ओलंपिक के दौरान जो जज्बा और जुझारूपन दिखाया, उस पर हर किसी को गर्व है। शायद यह पहला मौका होगा, जब भारत में बैडमिंटन मैच को करोड़ों लोगों द्वारा देखा गया हो। सिंधू और बैडमिंटन की चर्चा मीडिया, फ़ेसबुक, ट्विटर और सोशल मीडिया के अन्य माध्यमों पर जारी है। सिंधू, लंदन ओलंपिक में ब्रांज जीतने वाली सायना नेहवाल से भी एक कदम आगे निकल गयी। जो यह दर्शाता है कि भारत में बैडमिंटन की एक नयी पीढ़ी तैयार हो चुकी है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि, सिंधू की सफलता देखकर तमाम बच्चे बैडमिंटन की ओर आकर्षित होंगे। ऐसे में भारत में बैडमिंटन का भविष्य उज्जवल दिखता है।

    सिंधू की सफलता के पीछे कोच गोपीचंद और उनके परिजनों का बड़ा हाथ है। गोपीचंद की देखरेख में सालों से कड़ा अभ्यास कर रही सिंधू कई बेहतरीन खिलाड़ियों को हरा चुकी हैं। पिछले साल हुए डेनमार्क ओपन सुपरसीरीज के फ़ाइनल में कैरोलिना मारिन को भी सिंधू से हारना पड़ा था।

    लेकिन शुक्रवार का दिन कोर्ट पर सिंधू का नहीं, बल्कि स्पेन की मारिन का था। और सिंधू तीन सेट तक चले संघर्षपूर्ण मैच में हार गयी। इसके चलते भारत और सिंधू को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। सिंधू से पूरे देश को गोल्ड की उम्मीद थी और लोगों का फ़ाइनल का इंतजार था। मैच के पहले सेट में मारिन और सिंधू एक-एक प्वाइंट के लिए जूझते रहे। पिछड़ने के बावजूद सिंधू ने पहला सेट 21-19 से जीतकर गोल्ड की उम्मीद बढ़ा दी थी। लेकिन वर्ल्ड नंबर-1 मारिन ने दूसरे सेट में सिंधू को संभलने का मौका नहीं दिया। मारिन की तेज़ी का सिंधू के पास कोई जवाब नहीं था। इस तरह सिंधू दूसरा सेट आसानी से 12-21 से हार गयी। तीसरे सेट में रोमांचक मुकाबला देखने को मिला, लेकिन मारिन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए यह सेट 21-15 से अपने नाम किया। इसी के साथ भारत को गोल्ड दिलाने की सिंधू की उम्मीदें भी टूट गयी।

    लेकिन कहना होगा कि पहला ओलंपिक खेल रही सिंधू ने भारत को सिल्वर दिलाकर भी बड़ी उपलब्धि हासिल की। ओलंपिक के दौरान उन्होंने अपने से कहीं अधिक शक्तिशाली खिलाड़ियों को शिकस्त दी। जिसमें वर्ल्ड नंबर-2 वांग यी हान, वर्ल्ड नंबर 6 नोजोमी ओकुहारा आदि शामिल हैं। लंबे समय तक तमाम भारतीयों को सिंधू का प्रदर्शन याद रहेगा। जो बच्चों और युवाओं को रैकेट थामने के लिए प्रेरित भी करेगा। और आने वाले वर्षों में भारत में कई और सिंधू पैदा होंगी।

    अनिल आज़ाद पांडेय

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