बैडमिंटन की नई सनसनी पी.वी. सिंधू ने ओलंपिक के सेमीफ़ाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा के खिलाफ़ अपने पॉवर गेम का जलवा दिखाया। इसके साथ ही सिंधू ने फ़ाइनल में भी जगह बना ली। जो कि बैडमिंटन इतिहास में किसी भारतीय महिला का बेहतरीन प्रदर्शन है। अब भारत का एक मेडल सिल्वर या गोल्ड पक्का हो चुका है। शुक्रवार को सिंधू का मुकाबला विश्व की नंबर एक कैरोलीन मरीन से होना है। कहना होगा, ओलंपिक में मेडल को तरस रहे भारत के लिए सिंधू उम्मीद की एक किरण बनकर उभरी है।
बृहस्पतिवार को हुए मैच में शानदार फॉर्म में चल रही सिंधू ने विश्व की छठे नंबर की खिलाड़ी ओकुहारा को सीधे सेटों में 21-19 और 21-10 से हराया। इस साल की ऑल इंग्लैंड चैंपियन ओकुहारा ने शायद ही सिंधू से इतने जबरदस्त प्रदर्शन की उम्मीद की होगी। इससे पहले दोनों के पांच मुकाबले हो चुके थे, और तीन बार ओकुहारा को ही जीत हासिल हुई थी। हालांकि सिंधू 2012 में अंडर-19 चैंपियनशिप में ओकुहारा के खिलाफ़ जरूर जीती थी।
लेकिन इस ओलंपिक में सिंधू का खेल और फुर्ती देखने लायक रही है। सेमीफ़ाइनल में पहले सेट की शुरुआत से ही सिंधू ने बढ़त बना ली थी। ओकुहारा ने भी अच्छा खेल दिखाया। पहला सेट सिंधू ने कड़े मुकाबले में जीता। जबकि दूसरा सेट शुरू होते ही ओकुहारा बदली हुई नजर आ रही थी। उन्हें इसका फायदा भी मिला। और सेट 9-9 की बराबरी पर आ गया था। ब्रेक के बाद अनुभवी कोच पी. गोपीचंद की नसीहत काम आयी। और 21 साल की सिंधू ने ओकुहारा को कोई मौका नहीं दिया। सिंधू के पॉवर गेम का अंदाज़ा लगाया इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगातार 11 प्वाइंट हासिल किए। और सेट 21-10 से जीतकर इतिहास रच दिया।
इससे पहले सिंधू ने प्रीक्वार्टर फ़ाइनल में थाईपेई की थाइ चुइंग और क्वार्टर फ़ाइनल में विश्व की नंबर दो खिलाड़ी वांग ई हान को हराकर भारतीय खेल प्रेमियों को खुश होने का मौका दिया।
वैसे ओलंपिक से पहले भी कुछ मौकों पर सिंधू ने अपना दम दिखाया था। और वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो बार कांस्य पदक जीत चुकी हैं।
लेकिन रियो ओलंपिक के लिए सिंधू मानो ठानकर आयी थी कि उन्हें कुछ करके दिखाना है। क्योंकि अक्सर वह स्टार खिलाड़ी सायना नेहवाल की छाया में ही रही हैं। और सायना का सफ़र रियो में पहले ही खत्म हो चुका है। ऐसे में सिंधू का प्रदर्शन काबिलेतारीफ़ है।
अनिल आज़ाद पांडेय