वांग यी ने कहा कि चीन और भारत एक दूसरे के पड़ोसी देश हैं। दोनों ही देश विश्व में सबसे विकासशील देश और नवोदित देश भी हैं। विश्व का प्रमुख केंद्र एशिया प्रशांत क्षेत्र तक स्थानांतरण किए जाने की पृष्ठभूमि में रणनीतिक सहयोगी साझेदार के रूप में चीन और भारत के बीच हाथ मिलाकर सहोयग इसी क्षेत्र और विश्व पर सक्रिय और दूरगामी प्रभाव डालेगा। दोनों पक्षों को विकास की थीम पकड़ते हुए आपस में विकसित रणनीतियों को जोड़कर ज्यादा घनिष्ठ विकसित साझेदार संबंध की स्थापना करनी चाहिए, ताकि एशिया की शताब्दी के शीघ्र ही आगमन को आगे बढ़ाया जा सके।
वांग यी ने कहा कि वर्तमान में दोनों पक्षों को चीनी और भारतीय नेताओं के बीच संपन्न आम सहमतियों का अच्छी तरह कार्यान्वयन करते हुए चीन-भारत संबंध के लगातार आगे विकास को बढ़ाना चाहिए। आपस में उच्च स्तरीय आवाजाही का अच्छी तरह बंदोबस्त करें, विभिन्न स्तरीय आवाजाही और बातचीत का अच्छी तरह इंतजाम करें। इसके साथ ही दोनों पक्षों को चीन में आयोजित जी 20 के शिखर सम्मेलन और भारत में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अच्छी तरह आयोजन के लिए एक दूसरे का समर्थन और आपस में समन्वय करना चाहिए। ताकि नई परिस्थिति में विश्व आर्थिक पुनरुत्थान और विभिन्न देशों के बीच आपसी लाभ वाले सहयोग को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सके। दोनों देशों को रेलवे और निवेश सहयोग को आगे बढ़ाने के साथ साथ पर्यटन, स्थानीय आवाजाही और तीर्थयात्रा जैसे पहलुओं में मानविकी आदान-प्रदान भी मज़बूत करना चाहिए।
स्वराज ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय आवाजाही अधिक रही। आर्थिक और व्यापारिक सहयोग का जोरदार विकास हो रहा है। मानविकी आवाजाही सक्रिय है और द्विपक्षीय संबंध के विकास में बड़ी तरक्की हासिल हुई। भारत चीन के साथ सहयोग को गहराने को तैयार है, ताकि भारत-चीन संबंध से दोनों देशों की जनता को लाभ मिल सके। (श्याओ थांग)
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