रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट 0.25 प्रतिशत घटा दी है। इसे 6.75 फीसदी से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है। जो पिछले पांच वर्षों के सबसे निचले स्तर पर है।
आरबीआई ने अपने बयान में कहा कि वर्तमान में देश में मुद्रास्फीति दर पहले के अनुमान के दायरे में है। अनुमान के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में (अगले वर्ष के 31 मार्च तक) मुद्रास्फीति दर 5 फीसदी पर रहेगी। साथ ही बयान में ये भी कहा गया है कि हालांकी भारत की अर्थतंत्र में कुछ खतरे मौजूद हैं, फिर भी इस वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर 7.6 प्रतिशत होने का अनुमान है।
इसके अलावा आरबीआई ने सीआरआर को 4% पर बरकरार रखा है। आरबीआई द्वारा की गई इस कटौती के बाद बैंकों से मिलने वाला कर्ज़ सस्ता हो जाएगा।
5 अप्रैल को आयोजित मुद्रा नीति सम्मेलन के बाद एक प्रेस कांफ़्रेंस में आरबीआई प्रमुख रघुराम राजन ने कहा कि आरबीआई निचलेपन वाली मुद्रा नीति लागू करना जारी रखेगी। लेकिन रेपो रेट को घटाने से भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत संवेदनशील है। इसलिये आरबीआई स्थिति को देखते हुए अपनी नीति और रुख बदल कर सकता है।
यहां आपको बता दें कि पिछले 18 महीनों में आरबीआई रेपो रेट में 1.5 फीसदी की कटौती कर चुका है, लेकिन बैंकों ने इसका पूरा फायदा लोन लेने वालों को नहीं दिया। बैंकों ने इतने समय में लगभग आधे (0.75 फीसदी) का लाभ ग्राहकों को दिया है। अब यह रेपो रेट 2011 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। (रमेश)