चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने 5 मार्च को एनपीसी के वार्षिक सम्मेलन में सरकारी कार्य रिपोर्ट पेश की। इसमें "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति लागू करने के साथ साथ इसे शांति और मित्रता की कड़ी और समान समृद्धि का रास्ता बनाने की अपील की गई। वहीं पश्चिमी देशों को "एक पट्टी एक मार्ग" पर गलतफ़हमी और चिंता अब भी मौजूद है। इन गतलफ़हमी को कैसे खत्म किया जाएगा और "एक पट्टी एक मार्ग" के पीछे चीन की गलत मंशा नहीं है इसे पश्चिमी देशों को कैसे समझाया जाए।
कुछ पश्चिमी देशों के विद्वान "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति को चीन की मार्शल योजना कह कर बुलाते हैं। उनका कहना है कि "एक पट्टी एक मार्ग" चीन के पुनरुत्थान का प्रतीक है, जिसका लक्ष्य चीन को संसाधन और ऊर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करना है। वास्तव में "एक पट्टी एक मार्ग" का उद्देश्य सहयोग और समान जीत है, जो मार्शल योजना से बिलकुल अलग है। अतिरिक्त शर्त होना या नहीं, दोनों में सबसे बड़ा फर्क है। "एक पट्टी एक मार्ग" में कोई अतिरिक्त शर्त नहीं लगाई गई है। सभी सदस्य देश एक साथ विचार-विमर्श करते हैं।
कुछ देशों को चिंता है कि चीन "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति के जरिए वर्तमान क्षेत्रीय, यहां तक कि अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को चुनौती देगा या नहीं। जरा सोचिए, चीन ने कभी ऐसा नहीं किया है। एशियाई वित्तीय संकट के दौरान चीन ने अपना वचन निभाया था कि चीनी मुद्रा आरएमबी का अवमूल्यन नहीं होगा। इससे तमाम एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाएं शीघ्र ही बहाल हो सकीं थीं। अमेरिका के सब प्राइम संकट की वजह से हुए विश्व वित्तीय संकट में भी चीन ने एशिया यहां तक कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था स्थिर बनाने में बड़ी जिम्मेदारी निभाई। चीन "एक पट्टी एक मार्ग" के जरिए बेहतर विकास करने की अपेक्षा करता है, लेकिन चीन के विकास का पड़ोसी देशों के विकास पर बुरा असर कभी नहीं पड़ा।
कुछ विकासशील देशों की चिंता है कि "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति लागू करने का चीन का इरादा स्थानीय संसाधन लूटकर आर्थिक नियंत्रण को मज़बूत बनाना है। जबकि चीन को भी चिंता है कि रणनीति के कार्यांवयन के दौरान अर्थव्यवस्था, राजनीति और सुरक्षा के तमाम खतरे होंगे। क्योंकि "एक पट्टी एक मार्ग" मुख्य रूप से पिछड़ेपन आर्थिक स्थिति वाले क्षेत्रों में लागू की जाएगी, जिसका उद्देश्य इन देशों को आर्थिक विकास बढ़ाने में सहायता देना है। 60 से अधिक देश इस रणनीति से जोड़े जाएंगे, इसलिए कार्यांवयन एक बहुत कठिन काम है, जो किसी भी देश की क्षमता और जिम्मेदारी के परे है। तो चीन क्यों ऐसा करता है, क्योंकि चीन समझता है कि विकास एकमात्र रास्ता है। चीन को आशा है कि विकास के जरिए तमाम समस्याओं का समाधान किया जाएगा। पड़ोसी देशों का विकास होता, तो चीन का बेहतर विकास होगा।
आर्थिक विकास "एक पट्टी एक मार्ग" रणनीति का मूल काम है। मध्य एशियाई और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों और क्षेत्रों के बीच सहयोग बढ़ाने के जरिए बाजार में निष्पक्ष वातावरण तैयार करने से विभिन्न देशों की जनता को लाभ पहुंचाया जाएगा।
(ललिता)