अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने हाल ही में कहा कि अंतरारष्ट्रीय तेल की कीमतों में आई लगातार गिरावट भारत के अर्थतंत्र के लिए"अप्रत्याशित धन"है। कारण है कि इससे भारत में माल और सेवा के क्षेत्रों में अधिक खर्च किया जा सकेगा और देश में मुद्रास्फीति कम हो सकेगी।
आईएमएफ़ के भारतीय टीम के प्रधान पॉल काशिन ने कहा कि विश्व में तेल की कीमतों में आई गिरावट से भारत में माल और सेवा के खर्च के लिए अधिक संभावनाएं पैदा होंगी, देश की बाहरी और वित्तीय स्थिति में सुधार आएगा और मुद्रास्फीति में भी भारी कमी आएगी। आईएमएफ़ द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आर्थिक पुनरुत्थान का रास्ता असमतल होने के बावजूद भारत की जीडीपी की वृद्धि दर इस वित्तीय वर्ष के 7.3 प्रतिशत से अगले वित्तीय वर्ष के 7.5 प्रतिशत तक बढ़ेगी।
हालांकि भारत में निजी क्षेत्रों में निवेश का थोड़ा पुनरुत्थान सामने आया है, लेकिन इसकी वृद्धि का रुझान बरकरार रखने के लिए फिर भी भारी चुनौती होगी। सार्वजनिक बुनियादी संस्थापनों के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने और रुकावट में आई निवेश की परियोजनाओं को फिर से शुरू करने से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, इससे निजी क्षेत्रों में निवेश पर सक्रिय प्रभाव पड़ेगा।
(श्याओ थांग)