संगोष्ठी में ले यूछेंग ने दो वर्षों में 18 अध्यापकों के कामों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि चीनी अध्यापक दल द्वारा भारत में पढ़ाने से चीन और भारत के नेताओं की सहमतियों को अमलीजामा पहनाया जाता है, साथ ही दोनों देशों के बीच मैत्री को भी आगे बढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मैत्री का आधार लोक आवाजाही है। आप लोग चीन और भारत के बीच मैत्री के दूत हैं। आपके भारतीय छात्रों को चीन की वस्तुगत जानकारी मिली है। भविष्य में वे छात्र चीन-भारत मैत्री के दूत भी बनेंगे। चीन और भारत के बीच मैत्री के पेड़ पर आप लोगों का योगदान है।
अध्यापकों ने दो वर्षों में दिए गए देखभाल और ध्यान के लिए राजदूत ले यूछेंग और चीनी दूतावास के प्रति आभार प्रकट भी किया। उन्होंने अपनी अपनी जीवन और काम की स्थिति बताई और कहा कि चीन वापस लौटने के बाद वे निरंतर चीन-भारत मैत्री के लिए काम करेंगे।
वर्ष 2012 चीन और भारत द्वारा चीनी राष्ट्रीय चीनी भाषा कार्यालय और भारतीय माध्यमिक शिक्षा कमेटी के बीच समझदारी मेमोरंडम पर हस्ताक्षर होने से अब तक यह पहली बार चीनी स्कूली अध्यापकों द्वारा नई दिल्ली, मुंबई और कोलकाता आदि 10 शहरों में दो वर्षों में चीनी भाषा पढ़ाने और अध्यापक प्रशिक्षण का काम किया जाता है।
(वनिता)