वर्ष 2016 में विश्व अर्थतंत्र के सामने कई चुनौतियां नज़र आएंगी, जिनमें से नवोदित आर्थिक समुदायों पर विश्व अर्थतंत्र का ध्यान केंद्रित होगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF के वरिष्ठ अर्थशास्त्री मौरिस ओब्स्टफ़ेल्ड ने 4 जनवरी को यह चेतावनी दी।
उन्होंने IMF की वेबसाइट पर लेख छापकर कहा कि नवोदित अर्थतंत्र और विकासशील देशों के लिये वर्ष 2016 चुनौतियों भरा होगा। नवोदित आर्थिक समुदायों के सामने आर्थिक वृद्धि की गति धीमी होने, आने वाले पूंजी की कमी होने, विदेशी मुद्रा के आरक्षण में कटौती होने और मुद्रा का मूल्य कम होने की आशंका जातायी जा रही है। यदि व्यापारी उत्पादों की कीमतों में अधिक तेज़ गिरावट होगी तो संसाधनों के निर्यात पर निर्भर रहते हुए नवोदित अर्थतंत्रों के सामने ज़्यादा समस्याएं नज़र आएंगी।
ओब्स्टफ़ेल्ड ने कहा कि हालांकि यूरोपीय केंद्रीय बैंक और जापान के केंद्रीय बैंक उदार मौद्रिक नीति अपनाना जारी रखते हैं, पर अमेरिकी संघीय रिजर्व आयोग ने ब्याज कदम-दर-कदम बढ़ाने की प्रक्रिया शुरु कर दी है। यह बेशक है कि विश्व वित्तीय परिस्थिति जटिल हो रही है।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2016 में चीन पर आकर्षित नज़रें फिर भी बनी रहेंगी। (लिली)