बुनियादी संस्थापन निर्माण में चीन की प्रगति के राज़ : रविशंकर बसु
1985 साल से चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिंदी सेवा से जुड़ा हुआ हूं। पिछले 30 वर्षों तक सीआरआई के माध्यम से मैं चीन को समझने की कोशिश कर रहा हूं। खासकर चीन की तरक्की के कारण क्या हैं ये भी थोड़ा बहुत समझने का मौका मिला। किसी भी देश की तरक्की के लिये कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण होता है शहर व देहात में आधारभूत ढांचा, जैसे सड़कें, अस्पताल, नागरिक उड्डयन, दूरसंचार, बिजली, शिक्षा,रोज़गार के साधन, खान पान और रहन सहन का स्तर। यह सच है कि चीन इन सब पर काफी हद तक खरा उतरता है।
चीन के फर्स्ट ग्रेड सड़कें:
चीन एक विशाल देश है और आबादी भी बहुत बड़ी है। यातायात बुनियादी संस्थापनों का निर्माण जनजीवन सुधार से जुड़ा है। चीन सरकार रेल और सड़क बुनियादी संस्थापनों के निर्माण को बहुत महत्व देता है और पिछले तीस वर्षों में इन क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं।चीन के राष्ट्रीय राजमार्गों की स्थिति बहुत उत्तम है। आंकड़ों के अनुसार,चीन ने वर्तमान में 35 हजार किलोमीटर उच्च कोटि के सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया है। 2003 तक पूरे चीन में 18 लाख से अधिक किलोमीटर की सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है, जिन में एक्प्रेसवे की लंबाई 40 हजार किलोमीटर तक जा पहुंची है।वर्ष 2003 से लेकर 2012 तक 10 सालों में चीन ने 27.2 लाख किलोमीटर नयी ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया है। अभीतक पेइचिंग, शांगहाई व सभी केन्द्रीय शासित शहरों, प्रांतीय राजनगरों, स्वायत्त प्रदेशों की राजधानियों आदि बड़े शहरों की सड़कें एक्सप्रेसवे से जोड़ दी गयी है जिन की संख्या 200 से अधिक है।पेइचिंग-शांगहाई हाइवे की कुल लंबाई 1262 किलोमीटर है।चीन के गांव देहात में भी सड़कों का स्तर वही है जो राजधानी पेइचिंग में है।एक सांख्यिकी के अनुसार,2015 तक चीन में ग्राणीण राजमार्गों की लंबाई 39 लाख किलोमीटर पहुंची है।
चीन के रेल मार्ग :-
पंचवर्षीय योजना के दौरान चीन के रेल मार्ग के निर्माण में उल्लेखनीय विकास हुआ है।चीन की मुख्यभूमि पर उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चिम तक आठ प्रमुख रेल मार्गों की एक जाल सा रेल सेवा बिछी है, जिन पर अनेकों शाखा रेल मार्ग होते है।चीन में सामान्य रेल के अलावा विद्युतीकृत रेल, एक्सप्रेस रेल और मैगलेव ट्रेन भी दौड़ती है।चीनी जनरल रेल कंपनी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015 के अंत तक चीन में रेलमार्ग की कुल लंबाई एक लाख 20 हजार किमी से अधिक होकर दुनिया के दूसरे स्थान पर रही।एक लाख किलोमीटर लंबाई में 40 हज़ार किमी रेल लाइनों की गति 120 किमी प्रति घंटा और उसके ऊपर है, इनमें 20 हज़ार किमी. से अधिक रेल लाइनों की गति 160 किमी. प्रति घंटा है। हाईस्पीड ट्रेन चीन की एक पहचान बन गयी है।इस साल 30 दिसंबर को हाईनान हाई स्पीड रेल का पूरा संचालन शुरु होकर चीन की हाई स्पीड रेल मार्ग 19 हजार किलोमीटर तक पहुंचा, जो दुनिया में पहले स्थान पर है। चीन की पहली हाईस्पीड ट्रेन के रूप में पेइचिंग से थियंचिन तक इंटरसिटी ट्रेन ने वर्ष 2008 में शुरू होने से वर्ष 2013 तक कुल 11.7 करोड़ यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाया। वर्तमान में हाईस्पीड ट्रेन थ्येनचिन के नये समुद्रतटीय क्षेत्र में फैलकर बंदरगाह तक पहुंच गई है, जो पुरे समुद्रतटीय क्षेत्र के विकास, बंदरगाह और मुक्त व्यापार क्षेत्र के निर्माण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।चीन की राजधानी पेइचिंग और सबसे बडे शहर शांगहाई के बीच रेल मार्ग की लंबाई 1463 किलोमीटर है । वर्ष 2006 की पहली जुलाई को विश्व में सब से ऊंचे और सब से लम्बे रेल मार्ग-छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग पर यातायात शुरू हुआ। इस रेल मार्ग की कुल लंबाई 1956 किलोमीटर है। छिंगहाई-तिब्बत रेल मार्ग ने न सिर्फ़ तिब्बती लोगों के लिए विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में आने-जाने का रास्ता सुगम बनाया है, बल्कि देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए बर्फीले पठार पर आने का रास्ता भी समतल किया है ।
चीनी नागरिक उड्डयन :-
पिछली शताब्दी के 90 के दशक से चीन में समाजवादी बाजार आर्थिक व्यवस्था की स्थापना के बाद चीन के नागरिक उड्डयन क्षेत्र में भारी प्रगति हुई है। वर्ष 2012 तक चीन के नियमित नागरिक उड्डयन की उड़ाने 180 हवाई अडडों पर उतर सकते हैं और नियमित एयर मार्गों की संख्या 24 57 से अधिक तक जा पहुंची है। अभी तक चीन ने 663 अंतर्राष्ट्रीय लाइनों को खोला है।चीनी नागरिक उड्डयन ब्यूरो से मिली खबर के अनुसार, वर्ष 2016 में चीन करीब दो सौ नई अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें शुरु करेगा। वर्तमान में पूरे विश्व के 42 ऊंचे पठारीय हवाई अड्डों में से 15 चीन के हैं, जो विश्व में सर्वाधिक है। पेइचिंग ओलंपिक, शांगहाई विश्व मेले और क्वांगचो एशियाड आदि महत्वपूर्ण गतिविधियों में चीनी उड्डयन विभागों ने संतोषजनक रूप से काम किया। आपात हवाई यातायात व राहत काम में नागरिक उड्डयन ने तेज व कारगर की श्रेष्ठता से अपरिहार्य भूमिका निभाई है।
चीन व भारत के बीच पर्यटन के विस्तार के साथ साथ मुख्य एयर लाइन्स कंपनियों ने उड़ान की शक्ति बढ़ायी है। अब चीन व भारत के बीच हर हफ्ते 27 उड़ानें आ-जा रही हैं। दोनों देशों की राजधानी पेइचिंग-नई दिल्ली उड़ान के अलावा, क्वांग च्यो-नई दिल्ली उड़ान, शांगहाई-नई दिल्ली उड़ान और खुनमिंग-कोलकाता उड़ान आदि भी हैं। अब चीन व भारत के बीच उड़ानें भरने वाली एयर कंपनियों में चीनी पूर्वी एयर लाईन्स, चीनी अंतरराष्ट्रीय एयर लाईन्स, चीनी दक्षिणी एयर लाईन्स और भारतीय एयर लाईन्स हैं।पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत की राजधानी चिनान से नई दिल्ली जाने वाली अंतरराष्ट्रीय वायु सेवा 11 नवंबर,2015 को शुरू हुई।चीन के युन्नान प्रांत की राजधानी खुनमिंग और कोलकाता के बीच रोज सीधी उड़ान सेवा चलती है। इसलिए भारत और चीन के बीच विमान से आना जाना बहुत आसान है।
मेट्रो रेल:
चीन में मेट्रो मार्ग यानी भूमिगत रेल व्यवस्था का तेजी से विकास हो रहा है। अब तक चीन में कुल 10 शहरों में भूमिगत रेल लाइन बिछायी जा चुकी है और जिन पर यातायात अच्छी तरह चल रही है। जिन दस शहरों में सबवे की व्यवस्था कायम हो चुकी है, उन में पेइचिंग, शांगहाई, थ्येनचिन, क्वांगचो , ताल्यान, शनजन, नानचिंग, ऊहान, छङछिंग और छांगछुन शामिल है। इस के अलावा चीन के अन्य आठ शहर मैट्रो का निर्माण करने जा रहे हैं या निर्मार्ण करने की योजना बनायी है, जिन में छङतू, हांग चो, शनयांग, सीआन, हार्पिन, छिंगथाओ और सूचो हैं।चीन में प्रथम भूमिगत रेल पेइचिंग में निर्मित हुआ है, जो अब पेइचिंग सबवे की लाइन एक के नाम से मशहूर है। पेइचिंग सबवे लाइन एक का निर्माण पहली अक्तूबर 1969 को पूरा हुआ था । तब से अब तक पेइचिंग में आठ मेट्रो लाइनें निर्मित की जा चुकी हैं और जिन पर यातायात भी शुरू हो चुकी है, आठ मैट्रो लाइनों में एक रिंग रोड , एक एयर पोर्ट जाने वाली मैट्रो और एक ओलिंपिक शाखा भूमिगत रेल शामिल हैं । वर्ष 2012 के अंत तक पेइचिंग में मेट्रो की कुल लम्बाई 430 किलोमीटर तक जा पहुंची है। इन के अलावा इस समय पेइचिंग में अन्य 6 मेट्रो लाइनें निर्माणधीन हैं । योजनानुसार 2020 तक पेइचिंग में कुल 19 मेट्रो लाइनें निर्मित होंगी, जिन की कुल लम्बाई 561,5 किलोमीटर होगी, यह लम्बाई एक ही शहर में विश्व में सब से अधिक होगी ।
चीन के बंदरगाह :
विश्व के समुद्री यातायात बाजार में चीन का बाजार बहुत ओजस्वी और शक्तिशाली है। आर्थिक विकास के साथ साथ चीन में बंदरगाह की संख्या भी दिन-ब-दिन बढ़ रही है।विश्व के दस सब से बड़े बंदरगाहों में से पांच चीन में हैं। चीन के जिन आठ बंदरगाहों की माल चढ़ाने-उतारने की क्षमता दस करोड़ टन को पार कर गई है, वे हैं- शांगहाई, निंगपो, क्वांगचओ, थ्येनचिन, छिंगताओ, छिनह्वांगताओ, ताल्येन और शनचन। वर्ष 2004 के अंत तक चीन की मुख्यभूमि में कुल 1430 बंदरगाह थे और 34000 लंगरगाह(mooring)। चीन के बंदरगाहों का आम पैमाना और माल-चढ़ाने उतारने की क्षमता विश्व में पहले स्थान पर जा पहुंची है।कोयला परिवहन के लिए भी कुछ नए बन्दरगाहों का निर्माण पूरा कर लिया गया है।क्वांगचओ बंदरगाह दक्षिणी चीन के क्वांगचओ शहर में चूच्यांग नदी के मुहाने पर स्थित है जो चीन का सब से बड़ा अंतरराष्ट्रीय बंदरगाह भी है।
टेलीफोन और इंटरनेट सेवा :
चीन के दूर संचार के तीव्र गति से तरक्की करने ने तो दुनिया के बहुत से विदेशी अर्थशास्त्रियों को आश्चर्य में डाल दिया हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार ,नए चीन की स्थापना के प्रारम्भिक काल में चीन में केवल दो लाख 20 हजार परिवारों के पास टेलीफोन उपलब्ध थे , लेकिन वर्ष 2012 के अंत में चीन में पारिवारिक टेलीफोन के ग्राहकों की संख्या 27 करोड़ 90 लाख 80 हजार तक पहुंच चुकी है।
चीन में इंटरनेट उद्योग का पैमाना तेज गति से बढ़ रहा है और व्यवहारिक अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने में उस का योगदान बड़ा है।जून 2012 में चीनी मोबाइल फोन नेटीजनों की संख्या 38 करोड़ 80 लाख तक पहुंच गयी है , जिस से मोबाइल इंटरनेट का अनुपात 2011 के अंत के 69.3 प्रतिशत से बढ़कर 72.2 प्रतिशत हो गया है । 23 जुलाई,2015 को चीनी इंटरनेट नेटवर्क सूचना केंद्र के रिपोर्ट के मुताबिक 2015 साल में चीन में नेटीजनों की पूरी संख्या 66 करोड़ 80 लाख पहुंची है। वर्तमान में चीन में 41.3 लाख वेब साइट उपलब्ध हैं। चीनी उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2014 के अंत तक, पूरे चीन में मोबाइल ब्रॉडबैंड उपभोक्ताओं की संख्या 58 करोड़ 30 लाख तक जा पहुंची।चाइना मोबाइल द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2015 तक चीन में 4 जी मोबाइल यूज़र्स की संख्या 10 करोड़ से भी अधिक रही। चीनी वित्त मंत्रालय, उद्योग और सूचना मंत्रालय के द्वारा जारी की गई सूचना के अनुसार वर्ष 2020 से पहले 98 प्रतिशत प्रशासनिक गांवों में ब्रॉडबैंड की सेवाएं स्थापित की जाएंगी।
बुनियादी संस्थापन निर्माण में चीन की तरक्की देखकर तो यही लगता है कि ये सिर्फ और सिर्फ चीनी लोगों की मेहनत और ईमानदारी का फल है । इसके साथ ही चीन की सरकार की दूरदर्शिता का भी परिणाम है । आज चीन जो तरक्की कर रहा है उसके पीछे 30 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी योजनाएं काम कर रही हैं ।आज चीन गर्व से अपना सिर ऊंचा कर खड़ा है और विश्व की सबसे बड़ी उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बन गया है। भारत को चीन से सबक लेते हुए अपने बुनियादी आधारभूत संस्थापनों के निर्माण में योजना की दशा और दिशा तय करना चाहिये।