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    तिब्बत पठार में पारिस्थितिकी तंत्र की आम स्थिति बेहतर
    2015-11-18 11:59:48 cri
    चीनी विज्ञान अकादमी के अधीन छिंगहाई तिब्बत पठार विभाग ने 18 नवंबर को देसी-विदेशी वैज्ञानिकों द्वारा सहयोग करके अनुसंधान के बाद तिब्बती पठार को लेकर पहली सर्वांगीण वैज्ञानिक आंकलन रिपोर्ट जारी की। जिसमें 2000 वर्ष पहले से भावी 100 वर्ष बाद तिब्बत पठार में पर्यावरण परिवर्तन का मिश्रित आंकलन किया गया। परिणास्वरूप, तिब्बती पठार की पारिस्थितिकी तंत्र की आम स्थिति बेहतर है।

    तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और चीनी विज्ञान अकादमी के संयुक्त संगठन में चीन, अमेरिका, स्वीडन और कनाडा से आए छिंगहाई तिब्बती पठार के अनुसंधानकर्ताओं को निमंत्रण देकर तीन वर्षों में जांच और अनुसंधान किया गया। अनुसंधान में वैज्ञानिकों ने देखा कि तिब्बत में पारिस्थितिकी तंत्र के ढांचे और क्षमता में बढ़ोत्तरी हुई है। जीव जंतुओं की विविधता की रक्षा गई। छ्यांगथांग, खखशीली और आअर्चिन जैसे राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण केंद्रों के निर्माण के चलते कुछ विशेष जंगली जानवरों की संख्या और प्रजातियां बढ़ी हैं। उदाहरण के तौर पर छिंगहाई तिब्बती पठार में जंगली याकों की संख्या करीब 40 हज़ार है, जो 2003 में यह संख्या सिर्फ़ 15 हज़ार थी। इस सदी के शुरु में तिब्बती एंटीलोपों की संख्या 80 हज़ार से बढ़कर 1 लाख 50 हज़ार तक पहुंच गई।

    आंकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बती पठार में जलवायु परिवर्तन की विशेषता गर्म और नम रहती है। पिछले 50 वर्षों में पठार में औसत तापमान प्रति 10 वर्ष 0.32 सेल्सीयस बढ़ता रहा है। जलवायु गर्म होने से हिम नदियां पिघल गईं। इस वजह से पठारों में जमी मिट्टी भी पुनरोदय हो गई और मिट्टी का रेतीलाकरण बढ़ गया। अनुसंधानकर्ता शू पाईछिंग के विचार में हिम नदियों के पिघलने के चलते नदियों में पानी का हालिया प्रवाह बढ़ेगा। लेकिन दूरगामी दृष्टि से देखा जाए तो जल संसाधनों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। खास कर बर्फ़ के पिघलने से पानी पर निर्भर रहने वाले पठारीय सूखी मिट्टी वाले क्षेत्रों को पानी की कमी का सामना करना पड़ेगा। यह विश्व भर में समुद्र सतह से ऊंचे स्थान पर स्थित क्षेत्रों के सामने मौजूद समान चुनौती है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि मानव जाति की कार्रवाई से पर्यावरण पर दुष्प्रभाव और सक्रिय प्रभाव दोनों पैदा हुए हैं। यातायात, पर्यटन, खनिज विकास और शहरी विकास से आंशिक क्षेत्रों के पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा। लेकिन छिंगहाई तिब्बती पठार का मूल क्षेत्र तिब्बत स्वायत्त प्रदेश है, जहां मुख्य तौर पर स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है। प्रदूषण कम है, जो उत्तरी ध्रुव के बराबर है। यहां विश्व भर में सबसे स्वच्छ इलाकों में से एक है। शू पाईछिंग ने यह बात कही। (श्याओ थांग)

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