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    साझी विजय वाले सहयोग की नयी साझेदारी की एक साथ स्थापना कर मानव भाग्य का समान समुदाय निर्मित करो
    2015-11-10 10:51:13 cri

    साझी विजय वाले सहयोग की नयी साझेदारी की एक साथ स्थापना कर मानव भाग्य का समान समुदाय निर्मित करो

    ----------70वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा की आम बहस में भाषण

    शी चिनफिंग, चीनी जन गणराज्य के अध्यक्ष

    28 सितंबर 2015 ,न्यूयॉर्क

    अध्यक्ष जी ,

    प्रिय मित्र

    70 वर्ष पहले हमारी पहले वाली पीढी ने वीरता के साथ संघर्ष कर विश्व फासिस्ट विरोधी युद्ध में विजय प्राप्त की थी और मानव इतिहास में काले अध्याय का अंत किया था। यह जीत आसानी से नहीं पायी गयी थी।

    70 वर्ष पहले हमारी पहले वाली पीढ़ी ने दूरदृष्टि से संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की, जो सबसे बड़ी व्यापकता, प्रतिनिधित्व और प्रतिष्ठा वाला अंतरराष्ट्रीय संगठन है। उसपर मानव की नयी विजन बांधी गयी और सहयोग का नया युग जोड़ा गया। यह पहलकदमी भूतपूर्व थी।

    70 वर्ष पहले हमारी पूर्व पीढ़ी ने विभिन्न पक्षों की बुद्धिमत्ता एकत्र कर संयुक्त राष्ट्र चार्टर बनाया और आधुनिक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव डाली, जिसने समकालीन अंतरराष्ट्रीय संबंधों के आधारभूत मापदंड स्थापित किये। इस उपलब्धि का दूरगामी प्रभाव पड़ा।

    अध्यक्ष जी, प्रिय मित्रों,

    3 सितंबर को चीनी जनता ने विश्व जनता के साथ धूमधाम से चीनी जनता के जापानी अतिक्रमण विरोधी युद्ध यानी विश्व फासिस्ट विरोधी युद्ध की विजय की 70वीं वर्षगांठ मनाई। पूर्व में मुख्य युद्ध मैदान के नाते चीन ने जापानी सैन्यवाद के मुख्य बलों का सामना कर 3 करोड़ 50 लाख लोगों की हताहती की कीमत चुकायी। इसने न सिर्फ अपने देश और जनता को बचाया, बल्कि यूरोप और प्रशांत महासागर युद्ध मैदान को मजबूत समर्थन दिया औऱ विश्व फासिस्ट विरोधी य़ुद्ध की विजय में ऐतिहासिक योगदान दिया।

    इतिहास एक दर्पण है। इतिहास से सीखकर हम भविष्य में होने वाली आपदा से बचेंगे। हमको इतिहास का सम्मान करना चाहिए और हमारे दिल में नैतिकता होनी चाहिए। इतिहास नहीं बदला जा सकता, पर भविष्य निर्मित किया जा सकता है। इतिहास की स्मृति करने का उद्देश्य रंजिश बरकरार रखे बिना उससे सबक लेना है। इतिहास की याद करना अतीत में डूबने के बजाये भविष्य की रचना करना है ताकि पीढ़ी दर पीढी शांति व्यवस्था बनी रहे।

    अध्यक्ष जी ,

    प्रिय मित्रों,

    संयुक्त राष्ट्र संघ 70 वर्ष गुजार चुका है। वह विभिन्न देशों के द्वारा शांति की रक्षा करने, देश का निर्माण करने और सहयोग चलाने के प्रयासों का साक्षी है। आज नये ऐतिहासिक प्रस्थान पर संयुक्त राष्ट्र को 21वीं सदी में विश्व शांति और विकास की गहराई से सोच करना चाहिए।

    विश्व परिस्थिति तेजी से बदल रही है। शांति, विकास और प्रगति की रोशनी युद्ध, गरीबी और पिछड़ेपन की बदहाली को दूर कर सकेगी। विश्व का बहु ध्रुवीकरण विकसित हो रहा है। नवोदित बाजार देशों और विकासशील देशों का उत्थान बेरोकटोक ऐतिहासिक धारा है। आर्थिक भूमंडलीकरण औऱ सामाजिक सूचनाकरण ने सामाजिक उत्पादक शक्ति को बहुत हद तक विकसित किया, जिसने अभूतपूर्व विकास का अवसर दिया और नये खतरे और चुनौतियां भी।

    चीन में एक कहावत है कि सबसे बड़ा आदर्श है कि ऐसा विश्व निर्मित करो जो सबका हो। शांति, विकास, निष्पक्षता, न्याय, लोकतंत्रता और मुक्ति पूरे मानव समाज का समान मूल्य है, जो संयुक्त राष्ट्र का महान लक्ष्य भी है। यह लक्ष्य पूरा करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। इसके लिये हमें प्रयास करने की ज़रूरत है। वर्तमान विश्व में विभिन्न देश एक दूसरे पर निर्भर हैं और एक दूसरे क साथ उनका घनिष्ठ जुड़ाव है। हमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों को संभालकर सहयोग और समान विजय से केंद्रीय नयी किस्म वाले अंतरराष्ट्रीय संबंधों का निर्माण कर मानव भाग्य का समान समुदाय निर्मित करना चाहिए। इसपर हमें निम्न पक्षों में कोशिश करना चाहिए।

    हमें समानता, पारस्परिक विचार विमर्श और पारस्परिक रियायत वाली साझेदारी की स्थापना करनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र चार्टर में प्रभुसत्ता की समानता एक उल्लेखनीय सिद्धांत है। विश्व का भविष्य और भाग्य विभिन्न देशों के द्वारा तय करना है। विश्व के सभी देश बराबर हैं। बड़े, शक्तिशाली और धनी देशों को छोटे, कमजोर और गरीब देशों पर धौंस नहीं जमानी चाहिए। प्रभुसत्ता सिद्धांत न सिर्फ इसमें प्रतिबिंबित है कि विभिन्न देशों की प्रभुसत्ता और प्रादेशिक अखंडता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता और उनके घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, बल्कि उसमें भी प्रतिबिंबित होना चाहिए कि विभिन्न देशों को खुद सामाजिक व्यवस्था और विकास का रास्ता अख्तियार करने का अधिकार है और विभिन्न देशों द्वारा आर्थिक और सामाजिक विकास बढ़ाने, जनजीवन सुधारने के प्रयासों का सम्मान करना है।

    हमें बहुपक्षवाद पर डटे रहकर पक्षपात को ठुकराना चाहिए। हमें समान विजय की नई अवधारण अपनाकर ऐसे पुराने विचारों को छोड़ना चाहिए जैसे किसी पक्ष की जीत दूसरे पक्ष की हार है, विजेयता सभी ले जाता है। विचार विमर्श लोकतंत्र का महत्वपूर्ण तरीका है। उसे समकालीन अंतरराष्ट्रीय प्रशासन का महत्वपूर्ण उपाय बनना चाहिए। वार्तालाप और विचार विमर्श के माध्यम से मतभेदों को सुलझाने की वकालत करना चाहिए। हमें अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर विश्व साझेदारी का निर्माण करना चाहिए ताकि विभिन्न देशों की आवाजाही में मुकाबले और गठबंधन के बजाय वार्तालाप और साझेदारी करने का नया रास्ता निकाला जा सके। बड़े देशों के बीच मुठभेड़ और स्पर्धा के बजाय पारस्परिक सम्मान, सहयोग और समान विजय को ढूंढा जाना चाहिए। बड़े देशों को छोटे देशों के प्रति समानता के आधार पर सही न्याय और लाभ वाली अवधारणा को अपनाना चाहिए और अपने लाभ से न्याय पर अधिक महत्व देना चाहिए।

    हमें निष्पक्ष, न्यायपूर्ण, समान हिस्सेदारी और समान हितों वाला सुरक्षा ढांचा स्थापित करना चाहिए। कोई भी देश अपनी शक्ति के तहत एकदम सुरक्षा नहीं बनाए रख सकता और कोई भी देश अन्य देशों की अस्थिरता से स्थिरता प्राप्त कर सकता। यह जंगल कानून है जहां पर कमजोर ताकतवर का शिकार है। यह देशों के बीच संबंधों के निपटारे का तरीका नहीं है। बल प्रयोग प्रभुत्व का तरीका है, जो पत्थर उठाकर अपने पैर पर गिराने जैसा है।

    हमको किसी भी तरह का शीतयुद्ध विचार छोड़कर समान, चतुर्मुखी, सहयोगी और निरंतर सुरक्षा का नया विचार अपनाना चाहिए। हमें युद्ध की रोकथाम और शांति कार्य में संयुक्त राष्ट्र संघ और सुरक्षा परिषद की केंद्रीय भूमिका निभाकर मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान और मजबूरन कार्रवाई से युद्ध का अंत कर शांति साकार करना चाहिए। हमें आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय सहयोग को आगे बढ़ाकर परंपरागत और गैर परंपरागत खतरों का निपटारा करना चाहिए ताकि हम युद्ध से बचे रह सकें।

    हमें खुलापन, सृजन, समावेशी और पारस्परिक लाभ वाले विकास का भविष्य तैयार करना चाहिए। वर्ष 2008 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक वित्तीय संकट से पता चला है कि पूंजी को लाभ का अंधाधुंध अनुकरण करने देने से नये दौर का संकट पैदा होगा। नैतिकता रहित बाजार विश्व समृद्धि और विकास का आधार नहीं बन सकता। अमीर अधिक अमीर होने और गरीब अधिक गरीब होने की स्थिति बरकरार नहीं रह सकती। यह निष्पक्षता और न्याय के विरुद्ध भी है। बाज़ार की भूमिका और सरकार की भूमिका का एकीकरण किया जाना चाहिए ताकि कार्यकुशलता और न्याय दोनों का ख्याल रखा जाए।

    सबका विकास असली विकास है और निरंतर विकास अच्छा विकास है। यह लक्ष्य पूरा करने के लिए खुलेपन की भावना को संभालकर पारस्परिक मदद और पारस्परिक लाभ बढ़ाया जाना चाहिए। वर्तमान विश्व में लगभग 80 करोड़ लोग अति गरीबी की चपेट में फंसे हैं। हर साल लगभग 60 लाख बच्चे पाँच वर्ष की उम्र में पहुंचने से पहले ही मर जाते हैं और कोई 6 करोड़ बच्चे शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते। अभी समाप्त हुए संयुक्त राष्ट्र विकास शिखर सम्मेलन ने वर्ष 2015 के बाद विकास की कार्यसूची बनायी है। हमें वायदे का पालन कर ऐसा उज्जवय भविष्य रचना चाहिए जिसमें हर व्यक्ति अभाव से मुक्त हो, विकसित हो और सम्मान संपन्न हो।

    हमें विभिन्न संस्कृतियों का आदान-प्रदान मजबूत कर सामंजस्य, समावेश और अंतर के प्रति सम्मान बढ़ाना चाहिए। मानव संस्कृतियों की विविधता से हमारा विश्व रंगबिरंगा दिखता है। विविधता से आदान-प्रदान होता है, आदान प्रदान से मिलाप होता है और मिलाप से प्रगति होती है।

    विभिन्न संस्कृतियों के सह अस्तित्व को विभिन्नता का आदर करने की जरूरत है। महज विविधता में पारस्परिक समादर, एक दूसरे से सीखने और सौहार्द सह अस्तित्व से यह विश्व अधिक प्रचुर औऱ समृद्ध होगा। विभिन्न संस्कृतियों में विभिन्न जातियों की बुद्धि और योगदान एकत्र होते हैं। उनके बीच ऊंची और नीची, श्रेष्ठ और घटिया का अंतर मौजूद नहीं है। विभिन्न संस्कृतियों को टकराव के बजाय वार्तालाप और एक दूसरे की जगह लेने के बजाय आवाजाही करनी चाहिए। मानव का इतिहास विभिन्न संस्कृतियों के बीच पारस्परिक आदान प्रदान और मिलाप का महान चित्र है। हमें विभिन्न संस्कृतियों का समादर कर समानता से एक दूसरे के साथ व्यवहार करना चाहिये और एक दूसरे से सीखना चाहिए ताकि मानव सभ्यता का रचनात्मक विकास किया जा सके।

    हमें प्रकृति का सम्मान कर हरित विकास की पारिस्थितिकी व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए। मानव प्रकृति का इस्तेमाल कर सकता है औऱ प्रकृति में सुधार भी कर सकता है, फिर भी मानव प्रकृति का एक भाग है। मानव प्रकृति के बाहर नहीं है। हमें इसको संभालकर रखना है। हमें औद्योगिक सभ्यता से पैदा हुए सवालों का समाधान कर मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण सह अस्थित्व को अपना लक्ष्य बनाकर विश्व का निरंतर विकास और मानव समाज का चौतरफा विकास करना चाहिए।

    पारिस्थितिकी सभ्यता का निर्माण मानव के भविष्य से जुडा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हाथ से हाथ मिलाकर पूरे विश्व की पारिस्थितिकी सभ्यता के निर्माण का रास्ता निकालना चाहिए। हमें प्रकृति का समादर करना चाहिये, प्रकृति से मेल खाना और प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए। हमें हरित विकास, कम कार्बन, चक्रीय और निरंतर विकास के रास्ते पर चलन चाहिए। इस संदर्भ में चीन अपनी जिम्मेदारी उठाकर अपना योगदान जारी रखेगा। इसके साथ ही हम विकसित देशों से ऐतिहासिक जिम्मेदारी उठाकर गैस उत्सर्जन कम करने के वायदे का पालन करने औऱ मौसम परिवर्तन से अभ्यस्त होने के लिए विकासशील देशों को मदद देने का अनुरोध करते हैं।

    अध्यक्ष जी ,

    प्रिय मित्र,

    1 अरब 30 करोड़ से अधिक चीनी जनता चीनी राष्ट्र का महान पुनरुत्थान और चीनी स्वप्न पूरा करने का प्रयास कर रही है। चीनी जनता का सपना विभिन्न देशों की जनता के सपने के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है। चीनी सपना पूरा करना शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति और स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, विभिन्न देशों की जनता की समझ, समर्थन और मदद से अलग नहीं हो सकता। चीनी सपना पूरा करना विभिन्न देशों के लिए अधिक अवसर लाएगा और विश्व शांति, विकास को बढ़ावा देगा।

    चीन हमेशा विश्व विकास के लिए योगदान करेगा और सहयोगी विकास के रास्ते पर कायम रहेगा। चीन संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश था, जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों से केंद्रित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और तंत्र बनाए रखेगा। चीन व्यापक विकासशील देशों के साथ रहकर अंतरराष्ट्रीय प्रशासन व्यवस्था में विकासशील देशों खासकर अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधित्व के विस्तार और अधिक मुखर आवाज का डटकर समर्थन करता है। संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन का मत हमेशा विकासशील देशों का है।

    इस अवसर पर मैं घोषणा करता हूं कि चीन संयुक्त राष्ट्र कार्य का समर्थन करने, बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने और विश्व शांति के विकास के लिए नया योगदान करने के लिए चीन संयुक्त राष्ट्र शांति और विकास कोष की स्थापना करेगा, जिसकी अवधि 10 वर्ष और राशि 1 अरब अमेरिकी डॉलर होगी। मैं घोषणा करता हूं कि चीन नये संयुक्त राष्ट्र शांति कार्य क्षमता तैयारी तंत्र में शामिल करेगा और इसके लिए स्थाई शांति पुलिस टुकडी की स्थापना करेगा जिसमें 8000 जवानों से गठित शांति कार्य तैयारी टुकड़ियों की सथापना करेगा। मैं घोषणा करता हूं कि चीन भावी पाँच वर्ष में अरब संघ को 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की मुफ्त सैन्य सहायता प्रदान करेगा ताकि अफ्रीकी स्थाई सेना औऱ संकट से निबटने वाली द्रुत प्रतिक्रिया सेना के निर्माण में मदद दी जाए।

    अध्यक्ष जी ,प्रिय मित्रों ,

    संयुक्त रष्ट्र का अगले दस वर्ष में दाखिल होने के वक्त हम अधिक घनिष्ठ रूप से एकजुट होकर मिलकर सहयोग और समान विजय वाली साझेदारी की स्थापना करें और साथ साथ मानव भाग्य के समान समुदाय का निर्माण करें ताकि युद्ध मुक्त विश्व और चिरस्थाई शांति का दृष्टिकोण हमारे दिलों में सदा से बना रहे और विकास, समृद्धि, न्याय और निष्पक्षता का विचार विश्व में प्रचलित हो।

    धन्यवाद

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