विश्व आर्थिक मंच ने 30 सितंबर को वर्ष 2015-16 विश्व प्रतिस्पर्द्धा शक्ति रिपोर्ट जारी की। चीन विश्व प्रतिस्पर्द्धा शक्ति रैंकिंग में 28वें स्थान पर रहा, जो नवोदित बाजारों में सबसे आगे है। स्विजरलैंड लगातार सातवें साल तक इस रैंकिंग में पहले स्थान पर बना हुआ है। भारत 16 पायदान चढ़कर 55वें स्थान पर आ गया।
प्रतिस्पर्द्धा शक्ति रैंकिंग विश्व आर्थिक मंच द्वारा वर्ष 2004 में प्रस्तुत विश्व प्रतिस्पर्द्धा शक्ति सूचकांकों पर आधारित है, जिसमें 12 सूचकांक शामिल हैं। इस वर्ष की रिपोर्ट में विश्व के 140 आर्थिक समुदायों की पड़ताल की गई है। इस रैकिंग में पहले दस आर्थिक समुदाय हैं, स्विजरलैंड, सिंगापुर, अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड, जापान, चीनी हांग कांग, फिनलैंड, स्वीडन और ब्रिटेन।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अगर चीन रैंकिंग में आगे बढ़ना चाहता है, तो अनवरत विकास के आर्थिक मॉडल की ओर परिवर्तित होने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मज़बूत प्रतिस्पद्धा शक्ति संपन्न आर्थिक समुदाय ने विश्व आर्थिक संकट के सामने असाधारण प्रतिरक्षा औऱ बहाली की क्षमता दिखायी है, जबकि अन्य आर्थिक समुदायों की स्थिति संकट के बाद चिंताजनक है।
विश्व मंच के संस्थापक क्लास श्वाब ने बताया कि नये आर्थिक वातावरण में प्रतिस्पर्द्धा शक्ति बनाए रखने के लिए मानव संसाधन और सृजन पर खास ध्यान दिया जाना है।