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"प्राचीन चाय घोड़ा मार्ग"पर चीन-भारत व्यापार का नया केन्द्र
2015-08-31 14:26:58 cri

चीनी सैनिक ल्याओ श्याओपिंग भारतीय सैनिक के साथ बातचीत करते हुए

नाथुला दर्रे में सीमावर्ती व्यापारिक बाज़ार में सौदा करने वाले भारतीय व्यापारियों को अंग्रेज़ी, नेपाली, हिन्दी और तिब्बती चार भाषाएं आती हैं। स्थानीय लोग आपस में आसानी से विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं और ये उनकी खरीदारी के लिए बहुत सुविधापूर्ण है। भारत के सिक्किम प्रदेश से आई व्यापारी पेलेमल्हामो अपनी बेटी के साथ नाथुला दर्रे के सीमावर्ती बाज़ार में व्यापार करती हैं। वर्ष 2006 में इस बाज़ार के फिर से शुरू होने के समय से ही वे व्यापार करने लगे हैं। शुरू में वे सिर्फ़ भारत में बनी हुई चाय, बिस्किट, चॉकलेट जैसी वस्तुएं बेचती थीं। अब उनका व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है। बाज़ार में बेचे हुए भारत में निर्मित सभी उत्पाद उनकी दुकान में मिल सकते हैं। इधर के सालों में यातोंग कांउटी में आने वाले पर्यटकों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। पेलेमल्हामो की दुकान का व्यापार दिन प्रित दिन अच्छे से अच्छा हो रहा है। उसके विचार में अपने व्यापार का विस्तार चीन सरकार के समर्थन से अलग नहीं हो सकता। भारतीय व्यापारी पेलेमल्हामो ने कहा:

"चीन सरकार ने हमारी बड़ी मदद की है। बारिश के दिनों में हमें छाया दी जाती है और मुसीबत के वक्त हमारी सहायता की जाती है। इसके अलावा चीन सरकार ने हमे निःशुल्क दुकान मुहैया करवाई है।"

नाथुला दर्रे पर चीन और भारत के बीच सीमावर्ती व्यापार बाज़ार की आयात-निर्यात चौकी पर आने-जाने वाले वाहनों की भीड़ है। चीनी जन मुक्ति सेना के सीमा-रक्षा सैनिक ल्याओ श्याओपिंग के मुताबिक इस वर्ष मई में सीमावर्ती व्यापार शुरू होने से लेकर अब तक प्रति माह सीमा पार करने वालों और उत्पादों की संख्या पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 60 से 70 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है। रोज़ सीमा-रक्षा सैनिक ऐसे दृश्य देख सकते हैं:भारत से आए वाहनों में उत्पादों के भरा हुआ है, एक दिन की बिक्री के बाद भारतीय व्यापारी खाली वाहन के साथ स्वदेश लौटते हैं। वहीं चीनी व्यापारी खाली वाहन चलाकर भारत की ओर जा रहे हैं, वापस लौटने के वक्त उनके वाहनों में भारतीय उत्पाद भरे होते हैं। जाहिर है कि नाथुला दर्रे पर सीमावर्ती व्यापारिक बाज़ार में चीन से भारत तक निर्यातित वस्तुएं चीन द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं से कम है। सीमा रक्षा सैनिक ल्याओ श्याओपिंग के विचार में यह बुरी बात नहीं है। उन्होंने कहा:

"इस दर्रे पर सीमावर्ती व्यापार के फिर से शुरू होने से चीन और भारत के बीच आवाजाही बढ़ गई है। यह हमारे दोनों बड़े देशों के बीच संबंध, कूटनीति और देशी सिद्धांतों के लिए सकारात्मक है।"

ल्याओ श्याओपिंग के नाथुला दर्रे पर सीमा-रक्षा सैनिक बने दस साल हो चुके हैं। सीमावर्ती व्यापारिक चौकी की स्थिरता और विकास को बनाए रखना ल्याओ श्याओपिंग जैसे सैनिकों के अथक परीश्रम के कारण ही संभव हो पाया है। अपने मिशन की चर्चा करते हुए सैनिक ल्याओ श्याओपिंग ने कहा:

"सैन्य वर्दी पहनकर हम यहां आए और सीमा चौकी पर जांच और निरीक्षण कार्य की जिम्मेदारी उठाते हैं। ये क्षेत्र भारत से नज़दीक है। सीमा चौकी में कार्यरत सभी सैनिकों की व्यक्तिगत क्षमता उच्च होनी चाहिए। मुझे लगता है कि यहां काम करना मेरे लिए अभ्यास करने का अच्छा अवसर है। यहां मेरा प्रारंभिक सपना साकार हुआ है।"

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