भारत और चीन के बीच साहित्यिक आदान-प्रदान विषय पर 27 अगस्त को पेइचिंग स्थित भारतीय दूतावास में राउंड टेबल चर्चा का आयोजन हुआ। जिसमें साहित्य, अनुवाद व मीडिया आदि क्षेत्रों से जुड़े प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।
इस अवसर पर नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमेन बलदेव शर्मा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से भारत और चीन के बीच साहित्य और अनुवाद के क्षेत्र में प्रगति हासिल होगी। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि साहित्यिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य बनाने की आवश्यकता है।
वहीं साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि भारत और चीन के विद्वान प्राचीन काल से ही साहित्य व ज्ञान एक-दूसरे के साथ साझा करते आ रहे हैं। भारतीय संगीत, कला आदि का चीनी साहित्य पर प्रभाव दिखाई देता है। उन्होने कहा कि अगर भारत और चीन एकजुट होकर काम करें तो दुनिया को दिखा सकते हैं कि हमारी क्षमता क्या है। साथ ही उन्होंने भारतीय साहित्य का चीनी भाषा में और चीनी का भारतीय भाषाओं में अधिक से अधिक अनुवाद किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
जबकि पेइचिंग विश्वविद्यालय के प्रो. च्यांग चिनख्वेई ने भारतीय और चीनी साहित्य को एक-दूसरे देश में बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत यात्रा के दौरान चीनी प्रधानमंत्री ली खछ्यांग ने साहित्य के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता संपन्न किया। जो इस बात का प्रतीक है कि चीन सरकार इस दिशा में बहुत ध्यान दे रही है।
(अनिल पांडेय)