हिंदी के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए प्रो. चिन दिंग हान को भारतीय साहित्य अकादमी के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया है। पेइचिंग में आयोजित समारोह में साहित्य अकादमी के सचिव डा. के.श्रीनिवासराव ने उन्हें मानद सदस्यता प्रदान की।
सम्मान ग्रहण करते हुए प्रो. चिन दिंग हान ने कहा कि यह सम्मान मिलने से मुझे और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि यदि चीनी और भारतीय जनता की मित्रता यांत्सी नदी और गंगा नदी हो तो मेरा काम उसमें एक बूंद की तरह है। मैंने जिंदगी भर हिंदी का काम किया है, इसलिए हिंदी मेरे लिए सब कुछ है।
उन्होंने इस मौके पर पेइचिंग विश्वविद्यालय में हिंदी सीखने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति कोष की स्थापना के लिए एक लाख युआन की राशि देने की घोषणा की। इस राशि से हिंदी सीखने वाले उन छात्रों को आर्थिक मदद मिलेगी, जिन्हें पढ़ाई का खर्च उठाने में मुश्किलें आती हैं।
यहां बता दें कि वर्ष 1930 में हूनान प्रांत की राजधानी छांगशा में जन्मे प्रो. चिन बचपन से ही साहित्य और अध्ययन से जुड़े रहे हैं। बौद्ध भिक्षु ह्वेन सांग के पश्चिम की तीर्थ यात्रा नामक यात्रा-वृत्तांत का प्रो. चिन पर गहरा असर पड़ा। उन्होंने हिंदी कवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित महाकाव्य रामचरितमानस सहित प्रेमचंद के प्रख्यात उपन्यास निर्मलास, लेखक यशपाल के उपन्यास झूठा सच का चीनी भाषा में अनुवाद किया।
(अनिल पांडेय)