चीन की राजधानी पेइचिंग में स्थित भारतीय दूतावास ने 17 अगस्त को आयुर्वेद तथा पारंपरिक चीनी औषधि पर अधारित एक सेमिनार का आयोजन किया जिसमें भारत के प्रतिष्ठित चिकित्सक डॉ. दीपक दुधमंडे ने"आयुर्वेद तथा पारंपरिक चीनी औषधि के बीच समानताएं" और"आयुर्वेद में स्वास्थ्य के लिए बगैर दवाईयों का दृष्टिकोण"पर प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद तथा पारंपरिक चीनी औषधि के बीच अनेक समानताएं हैं और वे एक-दूसरे से काफी हद तक मिलते-जुलते हैं। दोनों ही प्राचीन पद्धतियां रोगी व्यक्तियों के विकारों को दूर कर उन्हें स्वस्थ बनाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आयुर्वेदिक औषधियों के अधिकांश घटक जड़ी-बुटियों, पौधों, फूलों एवं फलों आदि से प्राप्त की जातीं हैं, इसलिए यह चिकित्सा प्रकृति के निकट है।
सेमिनार में उपस्थित करीब 200 चीनी लोंगों को डॉ. दीपक दुधमंडे ने अनेक हस्त मुद्राओं का अभ्यास करवाते हुए उनके लाभों से परिचित करवाया। उन्होंने आयुर्वेदिक पद्धति में बगैर दवाईयों के भी स्वस्थ होने के बारे में भी बताया।
चीन में आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार की संभावनाओं से इंकार न करते हुए बताया कि चीन के लोगों का आयुर्वेद की तरफ़ झुकाव बढ़ता ही जा रहा है और आने वाले समय में चीन और भारत मेडिकल क्षेत्र में काफी सहयोग कर सकते हैं।
(अखिल पाराशर)