श्रीलंकाई राष्ट्रपित मैत्रीपाला सिरीसेना ने 21 मई को राष्ट्रपति भवन में चीनी बौद्ध धर्म संघ के उपाध्यक्ष, क्वांगतुंग बौद्ध धर्म संघ के अध्यक्ष, आचार्य मिंगशंग के नेतृत्व वाले क्वांगतुंग बौद्ध धार्मिक मित्रवत प्रतिनिधि मंडल से भेंट की।
भेंटवार्ता में प्रतिनिधि मंडल के 30 सदस्य और श्रीलंकाई रामन्ना संप्रदाय के आचार्य शरीक हुए। राष्ट्रपति सिरीसेना ने प्रतिनिधि मंडल का स्वागत करते हुए कहा कि चीन और श्रीलंका के बीच बौद्ध धर्म शिष्यों की आवाजाही का इतिहास बहुत पुराना है। द्विपक्षी बौद्ध धर्म क्षेत्रों में बेहतर संबंध बना रहा है। प्राचीन रेशम मार्ग के माध्यम से इसके तटीय देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक आवाजाही ही नहीं, बल्कि बौद्ध धर्म का प्रसार-प्रचार भी मज़बूत हुआ है। श्रीलंका चीन द्वारा प्रस्तुत 21वीं सदी में समुद्री रेशम मार्ग के निर्माण वाले प्रस्ताव का समर्थन करता है। उन्हें आशा है कि दोनों देशों के बौद्ध धर्म जगत आपस में आदान प्रदान मज़बूत करते हुए दोनों देशों के बीच मैत्री को आगे बढ़ाएंगे।
वहीं आचार्य मिंगशंग ने कहा कि बौद्ध धर्म का चीन और श्रीलंका में महत्वपूर्ण प्रभाव है। यह द्विपक्षीय मित्रवत संबंधों का महत्वपूर्ण सेतु है। इस बार की यात्रा के दौरान चीन के क्वांगतुंग प्रांत के चूहाई शहर स्थित फूथ्वो मंदिर और कोलंबो के ओडे मंदिर के बीच मित्रवत संबंध स्थापित किया जाएगा। इस कार्रवाई से दोनों देशों के बौद्ध धर्म और सांस्कृतिक क्षेत्र में आदान प्रदान के लिए नया योगदान किया जाएगा।
(श्याओ थांग)