वर्ष 2015 हनोवर उद्योग मेला 13 अप्रैल को उद्घाटित हुआ। विश्व भर के 70 देशों और क्षेत्रों के करीब 6500 उद्यम इसमें भाग ले रहे हैं।
मौजूदा मेले में"उद्योग 4.0"यानी चौथी पीढ़ी की औद्योगिक क्रांति पर अधिक नज़र टिकी हुई है।"उद्योग 4.0"एक नयी अवधारणा है, जो 2011 में हनोवर मेले में पैदा हुई और जर्मन सरकार ने इसे महत्व दिया।"उद्योग 4.0"साइबर फिज़िकल प्रणाली(सीपीएस) और इंटरनेट अफ़ थिंग्स(आईओटी) के आधार पर बुद्धिमत्तापूर्ण उत्पादन क्रांति है।
मौजूदा हनोवर मेले के साझेदार देश के रूप में भारत पर भी विश्व का ध्यान केंद्रित हुआ है। वह पहली बार इस बड़े पैमाने वाले विश्व स्तरीय उद्योग मेले में हिस्सा ले रहा है। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद संभालने के बाद अपनी औद्योगिक विकास योजना बनाई। उन्हें आशा है कि भारत को वैश्विक स्पर्द्धा शक्ति वाला विनिर्माण केंद्र बनाया जाएगा। जर्मनी की यात्रा के दौरान मोदी ने कई बार खुले तौर पर बल देते हुए कहा कि भारत विदेशी पूजी के प्रवेश का मापदंड कम करेगा, ताकि अधिक से अधिक विदेशी पूंजी देश में आ सके।
लेकिन मौजूदा मेले के साझेदार देश भारत के प्रति जर्मन मीडिया की अधिक सक्रिय रिपोर्टें नहीं रही। वर्तमान विश्व कारखाने के रूप में चीन और भारत की तुलना की जा रही है। चीन की तुलना में भारत में श्रम शक्ति का स्तर ऊंचा न होने, कमजोर बुनियादी संस्थापन, ऊर्जा और जल संसाधन के अभाव जैसी कमियां मौजूद हैं। यहां तक कि दिल्ली में कभी कभार बिजली कटौती भी होती है। तथाकथित लोकतांत्रिक देश के नाते भारत में नौकरशाही और भ्रष्टाचार की स्थिति गंभीर है। विभिन्न क्षेत्रों में भारी व्यापारिक बाधा मौजूद है। हालांकि मोदी ने भारत में विदेशी पूंजी के प्रवेश का मापदंड कम किया, लेकिन जर्मन मीडिया और उद्यम इसे नहीं मानते। वे भारत के प्रति आशावान नहीं हैं। (श्याओ थांग)