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पश्चिम चीन के छिंगहाई प्रांत के हाईनान तिब्बती स्वायत्त प्रिफेक्चर की कोंगहे कांउटी में छ्यापोछ्या नामक कस्बा है। चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के देसी-विदेशी संवाददाताओं ने इस अति सुन्दर भूमि का दौरा किया। हमने साफ़ नीला आसमान और सफ़ेद बादलों में तिब्बती बौद्ध धर्म का एक शानदार स्वर्णिम वास्तु निर्माण को अपनी नज़रों के सामने खड़ा हुआ देखा। यह निर्माणाधीन वास्तु-निर्माण तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बती परंपराओं से जुड़ा एक सांस्कृतिक केंद्र है, जिसका कुल क्षेत्रफल 8700 वर्गमीटर है। इसमें तिब्बती बौद्ध धर्म का अनुसंधान विभाग, तिब्बती जाति का प्राचीन इतिहास संग्रहालय और तिब्बती बहुल क्षेत्रों में आधुनिक संस्कृति व जीवन प्रदर्शनी हॉल जैसी संस्थाएं शामिल होंगी।
अकल्पनीय बात यह है कि इस शानदार तिब्बती बौद्ध धर्म और तिब्बती जाति के रीति रिवाज़ व संस्कृति से जुड़े केंद्र के निर्माण का भार जीवित बुद्ध कङचांग निमा ने उठाया। रोज़ सुबह कङचांग निमा सूर्योदय के साथ शांत और लगन से तिब्बती बौद्ध धर्म का सूत्र जाप करते हैं। यह सूत्र लोगों की सुरक्षा और शांति की प्रार्थना के लिये होता है।
तिब्बती बौद्ध धर्म में तपस्या के बल पर उपलब्धियां हासिल करके अपनी इच्छानुसार अवतार बनने वाले आचार्य को तिब्बती भाषा में"चूयीकू"कहलाता है। जबकि चीनी हान भाषा में इन्हें"जीवित बुद्ध"माना जाता है।
संक्षिप्त बातचीत करने के बाद जीवित बुद्ध हमें सांस्कृतिक केंद्र दिखाने ले गए। रास्ते में जो भी लोग उनसे मिलते हैं, वे सभी उन्हें नमस्कार कर उनका सम्मान करते हैं।
जीवित बुद्ध कङचांग निमा ने हमें बताया कि यह श्रद्धालु दान के रुप में एक सूत्र चक्र भेंट करना चाहता है।
यह तिब्बती बौद्ध धर्म में एक सूत्र चक्र है, जिसे"मानी विमुक्ति चक्र"भी कहा जाता है। श्रद्धालु अपने मुख से"ओम...मा...नी...पैद...मे...हुंम"मंत्र के छह शब्दों का जाप करते हुए अपने दायं हाथ से चक्र को घड़ी की सुई की दिशा में घूमाते है। यह मंगलमय और कल्याण की प्रार्थना है।
इधर के दिनों में इस नन्हे तिब्बती बालक की स्थिति अच्छी नहीं है। उसकी मां जीवित बुद्ध से बच्चे के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करना चाहती है।
मां की आंखों में खुशी देखी जा सकती है। उसे विश्वास है कि बच्चे की सेहत ठीक हो जाएगी।
रास्ते में एक श्रद्धालु ने जीवित बुद्ध को पीले रंग का एक रेशम का पट्टा दिया। संवाददाता जीवित बुद्ध के निकट आ रहे हैं।
सूत्र जाप करने का समय हो गया है। कङचांग निमा पहले की भांति अपनी मां की मदद करते हुए परिजनों के साथ कमरे में चले गए। वे लोगों के सुख और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
इन्टरव्यू
तिब्बती बौद्ध धर्म में बहुत से जीवित बुद्ध मौजूद हैं। लेकिन जीवित बुद्ध मानने का अपना अलग-अलग तरीका है, जिनमें से दो प्रमुख हैं। पहला, कई बच्चे चुने जाते हैं। बाद में उनके संन्यास की उपलब्धियों और क्षमता के साथ जीवित बुद्ध माना जाता है। दूसरा तरीका यह है कि दसेक वर्ष या सौ वर्ष पूर्व जीवित बुद्ध ने अपने महानिर्वाण से पहले सूचना दी हो, जिसमें बताया गया हो कि उनका अवतार कहां से मिलेगा, अवतार के माता-पिता का क्या नाम होगा और वे कहां रहते हैं। या कई सौ वर्ष पूर्व एक जीवित बुद्ध की किताब में अवतार के माता-पिता का नाम उल्लेख होता है। अवतार मानने का यह तरीका भी प्रचलित है। जब मेरी मां गर्भवती थी। मेरा जन्म लेने के पूर्व सछ्वान और क्वोलो के कुछ महाचार्य विशेष तौर पर हमारे यहां आए। उन्होंने मुझे कङचांग निमा के तीसरी पीढ़ी के जीवित बुद्ध का अवतार माना। उन्होंने नियुक्ति पत्र लिखा। मतलब कि मैं अपना जन्म लेने से पहले जीवित बुद्ध बन गया।
यह वज्र कांठ है। हरेक कांठ बनाने में मंत्रों का जाप करना जरूरी है। इसे बनाए जाने के बाद नए मकान के द्वार पर रखा जाता है। यह घर में मंगलमय का आशीर्वाद होता है। नए मकान निर्माण के दौरान हर परिवार में एक ऐसा वज्र कांठ की आवश्यकता होती है।