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    एआईआईबी के विकास में मीडिया अधिक सक्रिय भूमिका निभाएं
    2015-03-27 15:22:08 cri

    इस 26 मार्च को दक्षिण चीन के हाईनान प्रांत में बोआओ एशिया मंच के 2015 वार्षिक सम्मेलन के दौरान"मीडिया नेताओं की गोलमेज़ बैठक"बुलाई गई। 17 देशों से आए 21 मीडिया नेताओं ने"सिल्क रोड प्रस्ताव"पर हस्ताक्षर किए और नियमित आदान प्रदान व्यवस्था स्थापित करने पर सहमति जतायी। ताकि आपस में मानविकी आवाजाही बढ़ायी जा सके, संसाधनों का समान उपभोग किया जा सके और आपस में सहयोगी ढांचे का नवाचार किया जा सके। इसके साथ ही मीडिया नेताओं के बीच सहमति हुई कि उचित समय पर रेशम मार्ग आर्थिक क्षेत्र और 21वीं सदी समुद्री रेशम मार्ग के तटीय क्षेत्रों पर मीडिया सहयोग संगठन की स्थापना की जाएगी।

    चीन द्वारा प्रस्तुत"एक गलियारा और एक मार्ग"वाले प्रस्ताव की चर्चा करते हुए गोलमेज़ बैठक में उपस्थित भारतीय प्रतिनिधि न्यू जेनरेशन मीडिया ग्रुप के परियोजना और विकास विभाग के प्रधान नारायण वैंकट सुब्रमनियन ने कहा कि रेशम मार्ग और भारत के बीच घनिष्ठ संबंध मौजूद है। उनका कहना है:

    "1600 वर्ष पूर्व महाचार्य ह्वानसांग ने प्राचीन रेशम मार्ग के जरिए भारत से बौद्ध ग्रंथ लेकर स्वदेश वापस लौटे। इससे भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक संपर्क मज़बूत हुआ। हमारे पास हिंद महासागर में समुद्री रेशम मार्ग भी मौजूद है। इस तरह रेशम मार्ग चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक, व्यापारिक और वाणिज्यिक आवाजाही की मज़बूती के लिए एक महत्वपूर्ण रास्ता है। रेशम मार्ग के माद्यम से भारतीय संस्कृति के प्रसार-प्रचार, विश्व के विभिन्न स्थानों में खुलेपन, भारतीय जनता और दूसरे देशों के बीच आवाजाही और पारस्परिक समझ जैसे क्षेत्रों में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय जनता के मन में रेशम मार्ग के प्रति गहरी भावना मौजूद है।"

    इधर के दिनों में विश्व का ध्यान केंद्रित हुए एशियाई आधारभूत संस्थापन निवेश बैंक यानी एआईआईबी की स्थापना से जुड़े तैयारी कार्य की चर्चा करते हुए सुब्रमनियन ने विश्वास जताया कि एआईआईबी की स्थापना एशिया में बुनियादी संस्थापनों के निर्माण के लिए अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा:

    "हमें विश्वास है कि एआईआईबी एशियाई क्षेत्रों में आधारभूत संस्थापनों के निर्माण को आगे बढ़ाएगी। हमें यह मालूम है कि चाहे एक गलियारा और एक मार्ग हो, या एआईआईबी की स्थापना क्यों न हो, यह सृजनात्मक कोशिशें हैं। प्रबंधन तरीकों में नवाचार हो या आधारभूत संस्थापनों के निर्माण नमूने में सृजन क्यों न हो, विश्वास है कि वे अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।"

    भारत में कुछ लोग एक गलियारा और एक मार्ग के निर्माण और एआईआईबी के प्रति आशंकाओं की चर्चा में सुब्रमनियन ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर मीडिया जगत को सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। ताकि चीन और भारत के बीच सहयोग आगे बढ़ाया जा सके। उनका कहना है:

    "इस पहलु पर भिन्न-भिन्न पक्षों की अलग-अलग समझ हैं। इसमें हिंद महासागर की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर भारतीय नागरिकों को आशंका है। लेकिन मैं व्यक्तिगत तौर पर कहना चाहता हूँ कि भारत को एक गलियारा और एक मार्ग कार्यक्रम में भाग लेने की आवश्यकता है। साथ ही एशियाई आधारभूत संस्थापन निवेश बैंक के तैयारी कार्य में भी सक्रिय रुप से भाग लेना चाहिए। हमें विश्वास है कि इस कार्यक्रमों के जरिए भारत और चीन के बीच आवाजाही और सहयोग को अधिक मौका मिलेंगे। गत वर्षों में भारत बुद्धिमत्ता अर्थतंत्र के विकास पर लगातार ध्यान देता है। भारत और चीन के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में कई सहयोग किए जा रहे हैं। अधिकांश भारतीय नागरिक चीन के साथ सहयोग करने को सक्रिय तौर पर लेते हैं। मुझे लगता है कि मीडिया को इसी क्षेत्र में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। ताकि चीन और भारत के बीच सहयोग को मज़बूत किया जा सके। इसके साथ ही भारतीय मीडिया, चीनी मीडिया और अन्य देशों की मीडिया संस्थाओं को इस प्रकार वाले सहयोग मज़बूत करना चाहिए। ताकि हम विश्व शांति और विकास को आगे बढ़ाने की महत्वपूर्ण शक्ति बन सकें।"

    (श्याओ थांग)

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