भारत स्थित चीनी राजदूत ले यूछेंग ने संगोष्ठी में भाषण दिया।
चीन द्वारा प्रस्तुत "एक पट्टी एक मार्ग" (रेशम मार्ग आर्थिक पट्टी और समुद्री रेशम मार्ग) के संदर्भ में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी 26 मार्च को भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित हुई। भारत स्थित चीनी दूतावास और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के चीन-दक्षिण पूर्वी एशिया अनुसंधान केन्द्र ने मिलकर इसका आयोजन किया। भारत स्थित चीनी राजदूत ले यूछेंग और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के उप प्रधान प्रसन्नजीत सेन ने संगोष्ठी में भाषण दिया।
ले यूछेंग ने कहा कि "एक पट्टी एक मार्ग" की स्थापना से उभय जीत और समान विकास होगा। इसे आगे बढ़ाने में भारत चीन का प्राकृतिक और महत्वपूर्ण भागीदार है। चीन भारत के साथ संपर्क और समन्वय मज़बूत करके दोनों देशों और जनता को लाभ पहुंचाएगा।
प्रसन्नजीत सेन ने कहा कि भारत और चीन दोनों दुनिया की प्राचीन सभ्यताओं के जन्मस्थान हैं। दोनों देशों के बीच आर्थिक व व्यापारिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान प्रदान लंबे समय से चले आ रहे हैं। वर्ष 2000 से पहले भारत और चीन के जीडीपी पूरी दुनिया के 60 प्रतिशत थी। जनसंख्या और आधुनिक प्रौद्योगिकी के लाभ से यह शानदार समृद्धि फिर से स्थापित होगी।
(दिनेश)