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    पिछले 90 वर्षों में श्रीलंका मे पहली रेल लाइन का निर्माण शुरु
    2015-03-18 09:05:31 cri

    रेलवे श्रीलंका के आर्थिक निर्माण और जन जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन वर्ष 1928 में अंतिम रेल लाइन का निर्माण पूरा होने के बाद से लेकर अबतक पिछले करीब 90 वर्षों में श्रीलंका में कोई दूसरी नई रेल लाइन का निर्माण नहीं किया गया। 2013 के अगस्त में चीनी मशीनरी आयात-निर्यात समूह और पांचवें चीनी रेलवे ब्यूरो द्वारा संयुक्त रूप से रेल मार्ग का निर्माण औपचारिक तौर पर शुरु हुआ। यह चीनी उद्यमों द्वारा ठेके पर श्रीलंका में निर्मित होने वाली पहली रेलवे लाइन परियोजना है।

    राजधानी कोलंबो के दक्षिण में 160 किलोमीटर दूर स्थित मातर शहर दक्षिणी श्रीलंका का सबसे बड़ा शहर है। दक्षिणी रेलवे का निर्माण जोरों पर है।

    यह रेलवे देश के आधारभूत यातायात की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। जिसकी कुल लम्बाई समुद्र तटीय शहर मातर से पूर्व में कतरगमा तक 127 किलोमीटर है। इस परियोजना का निर्माण तीन चरणों में किया जा रहा है। पहले चरण का निर्माण चीनी मशीनरी आयात-निर्यात समूह और पांचवें चीनी रेलवे ब्यूरो संयुक्त रूप से कर रहे हैं।

    इस परियोजना के मैनेजर वू फ़ानयू ने जानकारी देते हुए कहा कि पहले चरण की परियोजना मातर से बेलियाट्टा तक करीब 27 किलोमीटर की दूरी होगी, इस अनुबंध की कुल राशि 27 करोड़ 80 लाख अमेरिकी डॉलर है। इसी दौरान रेलवे निर्माण के अलावा संबंधित रेलवे स्टेशन, सुरंगें, पुल और पुलिया का निर्माण भी शामिल है। वू फ़ानयू ने परिचय देते हुए कहा कि श्रीलंका में रेलवे निर्माण में चीनी उद्यमों की भागीदारी से दो "पहली श्रेणी" वाली परियोजना है। उन्होंने कहा:

    "सर्वप्रथम, यह परियोजना चीनी कारोबारों द्वारा ठेके के रूप में श्रीलंका में निर्मित की जा रही पहली रेलवे परियोजना है। दूसरा, यह पिछले करीब 90 वर्षों में श्रीलंका में बनाई जा रही पहली नई रेललाइन भी है।"

    गौरतलब है कि 19वीं सदी के 60 के दशक से ही ब्रिटिश उपनिवेशकों ने श्रीलंका में कई रेलवे लाइनों का निर्माण किया था। लेकिन वर्ष 1928 से 2013 तक इस देश में कोई नई रेल मार्ग का निर्माण नहीं किया गया है। वर्तमान में देश भर के अधिकांश रेल उपकरण पूराने हो गए और लम्बे समय तक बिना मरम्मत के काम में लाए जा रहे हैं। श्रीलंका में रेल गाड़ी की औसतन गति प्रति घंटे 80 किलोमीटर के कम रही है। बताया जाता है कि चीन द्वारा बनाए जाने वाले इस रेल मार्ग पर गाड़ी की गति प्रति घंटे 120 कीलोमीटर होगी। यह श्रीलंका में सबसे हाई स्पीड वाली रेल लाइन बन जाएगी।

    दक्षिण रेलवे परियोजना के मेनेजर वू फ़ानयू ने कहा कि यह रेलवे श्रीलंका के रेलवे जाल की उन्नति के लिए ही नहीं, यातायात के लिए यात्रियों की संख्या और मालों की मात्रा भी बढ़ेगी। साथ ही इस रेल लाइन के तटीय क्षेत्रों में पर्यटन समेत औद्योगिक विकास भी मज़बूत होगा। यह श्रीलंका के आर्थिक पुनरुत्थान के लिए मददगार सिद्ध होगा। उन्होंने कहा:

    "इस परियोजना का निर्माण पूरा होने के बाद श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से मातर, हम्बनटोटा बंदरगाह और दक्षिण में नव निर्मित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से होकर सीधे तौर पर कतरगमा तक पहुंचेगा। इस तरह दक्षिण श्रीलंका में वायु, समुद्र और थल तीनों तरह का यातायात ढांचा बनेगा। जो तटीय क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक विकास दक्षिणी श्रीलंका में आर्थिक पिछड़ेपन और युद्धोत्तर पूरे देश के आर्थिक पुनरुत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"

    मैनेजर वू फ़ानयू ने बल देते हुए कहा कि 21वीं सदी में समुद्री रेशम मार्ग के महत्वपूर्ण तटीय देश के रूप में श्रीलंका में यह रेलवे लाइन चीन और श्रीलंका के संबंधों की मज़बूती और द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार में सक्रिय भूमिका निभाएगी।

    वर्ष 2013 की अगस्त में दक्षिण रेलवे का निर्माण औपचारिक तौर पर शुरु हुआ। तब से लेकर अब तक पहले चरण के निर्माण का एक तिहाई भाग सम्पन्न हो चुका है। निर्माण के दौरान चीनी उद्यम परियोजनाओं की गुणवत्ता और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों को ध्यान में रखकर स्थानीय सरकार के साथ सक्रिय रूप से समन्वय करते हैं। इस परियोजना के पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा विभाग के जिम्मेदार व्यक्ति कू फ़ङ ने जानकारी देते हुए कहा:

    "पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में हमने स्थानीय उत्कृष्ट पर्यावरण इंजीनियरों से गठित एक दल को निमंत्रण दिया और जांच के लिए संबंधित व्यावसायिक दल की व्यवस्था भी की। इसके साथ ही हम स्थानीय कानून के अनुसार सख्ती के साथ संबंधित सब्सिडी और मुआवज़ा भी देते हैं। इस तरह स्थानीय लोगों और सरकार ने हमारा उच्च स्तरीय मूल्यांकन किया है। हमें स्थानीय नागरिकों की मान्यता भी मिली है।"

    बताया जाता है कि दक्षिण रेलवे परियोजना के निर्माण के शुरु होने से लेकर अब तक स्थानीय नागरिकों के लिए सैकड़ों रोज़गार के अवसर मुहैया करवाए गए हैं। इसके साथ ही स्थानीय इंजीनियरिंग सामग्री और मशीनरी उपकरण बाज़ार को भी लाभ मिला है। वर्तमान में इस परियोजना के निर्माण में चीनी कर्मचारी, स्थानीय इंजीनियर और मज़दूरों का अनुपात 1:3:5 है।

    विश्वविद्यालय में चीनी भाषा सीखने वाली श्रीलंकाई लड़की लकिशा ने हमारे संवाददाता से कहा कि उसने क्रमशः कई चीनी पूंजी निवेश करने वाली कंपनियों में काम किया है। हरेक कार्य करियर की दृष्टि से उसे पर्याप्त अनुभव प्राप्त हुए। इसी दौरान उसे श्रीलंका के विकास में चीनी कारोबारों के योगदान को महसूस किया। लकिशा ने कहा:

    "पिछले कुछ वर्षों में कुछ चीनी उद्यम श्रीलंका में हाई स्पीड मार्ग, रेलवे, हवाई अड्डा और बंदरगाह जैसे बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में हिस्सा ले रहे हैं। इन उद्यमों ने हमारे देश के यातायात और आर्थिक विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है, विशेषकर तकनीकी क्षेत्र में।"

    दक्षिण रेलवे परियोजना के निर्माण में भाग ले रहे श्रीलंकाई इंजीनियर नमर ने अपने अनुभव बताते हुए कहा:

    "पिछले 5 से 7 वर्षों में चीन ने हमारे लिए बहुत काम किया है। विकासशील देश के नाते पूंजी निवेश हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। श्रीलंका को पूंजी निवेश के मामले में चीन ने हमारी बड़ी मदद की है।"

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