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    तिब्बती लामा फोटोग्राफर----योंग देन
    2015-02-01 19:46:09 cri

    आबा घास का मैदान चीन के सछ्वान, कानसू व छिंगहाई तीन प्रांतों की सीमा पर स्थित है। तिब्बती भाषा में आबा का अर्थ है स्वर्ण ढोल। इसलिए आबा काऊंटी स्वर्ण ढोल का नगर भी कही जाती है। वह एक बड़ी मैपल पत्ती की तरह अनोखे मैदान में स्थित है। आबा काउंटी में न केवल बड़ा घास का मैदान है, बल्कि यहां घने जंगल और बड़ी नदियां व घाटियां भी हैं। तिब्बती लोग पीढ़ी दर पीढ़ी यहां रहते आए हैं और विविध तरह की वास्तु कलाओं की रचना की है। यह खोज करने वालों व फोटोग्राफरों का स्वर्ग कहा जाता है। ये सुन्दर फोटो किसी प्रोफेशनलफोटोग्राफर द्वारा नहीं, बल्कि आबा काऊंटी के एक तिब्बती लामा योंग देन द्वाराखींची गई हैं।

    फोटो खींचने का शौक योंग देन कोबचपन से ही था।

    (बचपन में मैं केवल फोटो खींचता था, मुझे शूटिंग की कला मालूम नहीं थी, बाद में मैं एक मशहूर फोटोग्राफर से मिला और उनसे सीखने लगा। फिर मैंने अपनी कहानी रिकार्ड करने की कोशिश की और फोटोग्राफी की कला सीखी)

    तिब्बती बौद्ध धर्म की संस्कृति के प्रति प्यार की वजह से योंग देन 18 साल की उम्र में आबा काउंटी के गर्तंग मठ में सीखने लगे। बौद्ध शास्त्र पढ़ने के साथ-साथ योंग देन को फोटोग्राफी करने का पागलपन सा था। हर सुबह जब अधिकतर लोग सो रहे होते, योंग देन पठार में अद्धुत सौंदर्य को अपने कैमरे में कैद करते। कई बार एक सुन्दर क्षण को रिकार्ड करने के लिए उन्हें घंटों इन्तजार करना पड़ता था। लामा होने से योंग देन की आमदनी बहुत कम थी। फोटोग्राफिकउपकरण खरीदने के लिए पैसे परिवार वाले देते थे।

    (मेरे परिवार के लोगों ने मेरा पूरा समर्थन किया। हम लामा लोगों के पास पैसे नहीं हैं। इसलिए मेरे परिजनों ने मेरी मदद की।

    कई वर्षों की मेहनत से योंग देन न केवल फोटोग्राफर संघ के सदस्य बने, बल्कि मठ की मान्यता भी हासिल की।

    (हमारा मठ आबा काउंटी में सबसे बड़ा गेलुग संप्रदाय का मठ है। अब मैं इसके प्रचार-प्रसार का काम करता हूं।)

    अब योंग देन गर्तंग मठ का प्रसार कार्य करने के अलावा अन्य मठों के लिए भी मुफ्त प्रसार का काम भी करते हैं।

    25 सितंबर को आबा काउंटी के एनदो मठ में मठ की 600वीं जयंती के मौके पर एक शानदाररस्म का आयोजन किया गया। सुबह आस पास के लोग यहां इकट्ठे होने लगे। एनदो मठ के चौक में तमाम लोग खड़े हैं। कई लोग हाथा अर्पित करने या पूजा करने के लिए यहां आए। योंग देन जल्द ही यहां पहुंच गए। उन्होंने पूरे दिन काम किया। योंग देन के अलावा अन्य फोटोग्राफर भी आए। पठार में आसमान नीला दिखता है। योंग देन इधर उधर जाकर फोटो खींचने का मौका ढूंढते रहते हैं। सबसे महत्वपूर्ण वक्त आया और रस्म शुरू होने वाली है। अब सब लोगों की नजर यहां पर है। एनदो मठ के विशेष फोटोग्राफर होने की वजह से योंग देन सबसे अच्छी जगह में खड़े होकर फोटो खींचते हैं। लोग हाथा अर्पित करने या पूजा करने के लिए भी यहां आते हैं। सड़कों पर भी बहुत भीड़-भाड़ है। योंग देन अच्छे फोटो लेने की पूरी कोशिश करते हैं। कहा जाता है कि मठ में ग्रंथ शास्त्र सुनाने का कार्यक्रम कई दिनों तक चलेगा। लेकिन योंग देन कल एनदो मठ नहीं आएगा। अन्य एक मठ उन्हें आमंत्रित कर चुका है।

    वर्ष 2013 में योंग देन ने अपनी फोटो का पहला कलेक्शन जारी किया। योंग देन की नजर में हर एक चित्र की एक कहानी है।

    (आबा में आम नागरिकों के मकान, आबा में घास का मैदान, आबा की धार्मिक संस्कृति, आबा के पहाड़ व पानी। मैं इसके बारे में बाहरी लोगों को बताना चाहता हूं। यह स्थानीय लोगों के लिए एक अच्छी बात है।)

    वे कहते हैं कि आबा का विकास मेहनत से पढ़ने वाले बच्चों पर निर्भर करता है।

    (स्कूल जाओ, प्यारे बच्चो। तुम अच्छी तरह पढ़ो। क्या तुम्हें पता है कि आबा का विकास तुम पर निर्भर है।

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