हालांकि तेल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मज़बूती से विश्व आर्थिक वृद्धि को लाभ मिलेगा, लेकिन विश्व अर्थव्यवस्था फिर भी तेज़ हेडविंड्स का सामना कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) प्रमुख क्रिस्टीना लगार्ड ने 15 जनवरी को यह बात कही।
उन्होंने इसी दिन वाशिंगटन थिंक टैंक के अमेरिकी कूटनीतिक संघ में भाषण देते हुए कहा कि कई देशों के सामने बड़ी बेरोज़गारी दर और भारी देनदारी जैसी मुश्किलें मौजूद हैं। तेल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मज़बूती से दूसरे क्षेत्रों में बड़े सवालों का समाधान नहीं हो सकता। लगार्ड के अनुसार यूरो क्षेत्र और जापान की अर्थव्यवस्था संभवतः लम्बे समय तक कमजोर वृद्धि और कम मुद्रास्फीति वाली स्थिति में फंसेगी। नवोदित आर्थिक समुदायों को अमेरिकी डॉलर की मज़बूती, वैश्विक ब्याज़ दर की उन्नति, पूंजी प्रवाह की तेज़ी पर ज्यादा असर पड़ेगा। इसके साथ ही भूराजनीतिक जोखिम भी मज़बूत हो रहा है।
लगार्ड ने विभिन्न देशों से तेल की कीमतों में कमी का लाभ उठाकर ऊर्जा भत्ते को कम करने और अतिरिक्त पूंजी का प्रयोग करके कमज़ोर समुदाय की रक्षा करने का सुझाव दिया। साथ ही अपील की कि ढांचागत सुधार मज़बूत करते हुए श्रमिक शक्ति और उत्पाद बाज़ार के बीच मौजूद अंतर को दूर किया जाए। वहीं बुनियादी संस्थापन निर्माण में सुधार किया जाए, व्यापारिक मुक्ति और बैंकिंग निगरानी व प्रबंधन मज़बूत किया जाए।
(श्याओ थांग)