प्राइस वाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर 30 दिसम्बर 2014 को रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में आने वाले दो दशकों में अर्थव्यवस्था की विकास दर 9 फीसदी वार्षिक हो जाएगी।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 19 खरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2034 में 104 खरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। यदि सकल घरेलू उत्पाद की दर 9 फीसदी पर पहुंचती है तो भारत में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान 1490 डॉलर प्रति वर्ष से बढ़कर 6800 डॉलर प्रति वर्ष हो जायेगा।
लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन वृद्धि को साकार करने के लिए भारत को ढांचागत परिवर्तन करने की आवश्यकता है। यह आसान नहीं होगा। लम्बे समय में भारत चक्रिय आर्थिक हेंडविंड्स और ढांचागत कमियों के साथ संघर्ष करता रहा है। इन कमियों में पूंजी के अभाव वाले बुनियादी संस्थापन निर्माण, उत्पादन शक्ति के अभाव वाला वाणिज्यिक वातावरण, खराब शैक्षिक स्थिति और निचले चिकित्सीय स्वास्थ्य स्तर आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट में बल देते हुए कहा गया कि यदि भारत में जीडीपी की ग्रोथ रेट 9 फीसदी तक पहुंचता है, तो वह 100 खरब अमेरिकी डॉलर वाला आर्थिक समुदाय बन जाएगा। भारतीय उद्योगों को समान कोशिश करनी चाहिए, साथ ही एक सक्रिय सृजनात्मक व्यवस्था की स्थापना करनी चाहिए। कारोबारों और सरकार के बीच रचनात्मक साझेदार संबंध कायम होना इसकी अहम कड़ी होगी।
(श्याओ थांग)